अर्यमा ने पाई के 500 दशमलव अंक बोले:लखनऊ में अमेरिकी छात्रा का 426 अंकों का एक मिनट का रिकॉर्ड तोड़ा

Aug 23, 2025 - 00:00
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अर्यमा ने पाई के 500 दशमलव अंक बोले:लखनऊ में अमेरिकी छात्रा का 426 अंकों का एक मिनट का रिकॉर्ड तोड़ा
लखनऊ की 10 वर्षीय छात्रा अर्यमा शुक्ला ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की कोशिश की। उन्होंने एक मिनट में पाई के 500 दशमलव अंक याद कर बोलकर पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया। यह प्रयास लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। पिछला रिकॉर्ड अमेरिका की 17 वर्षीय इलाना ग्रीनबर्ग के नाम था। उन्होंने 3 अगस्त, 2025 को न्यूयॉर्क के हेवलेट में एक मिनट में 426 दशमलव अंक बोले थे। अर्यमा ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के निर्धारित नियमों के अनुसार आंखों पर पट्टी बांधकर यह प्रयास किया। उनके नाम पहले से ही एक विश्व रिकॉर्ड दर्ज है कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मनुका खन्ना मौजूद रहीं। इसके अलावा आईटी कॉलेज के गणित प्रोफेसर अखिलेश त्रिपाठी, पद्मश्री डॉ. विद्या बिंदु सिंह और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। विश्वविद्यालय का विशेष आभार व्यक्त किया अर्यमा को पहले भी कई सम्मान मिल चुके हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें विशेष प्रतिभा के लिए सम्मानित किया है। उनके नाम पहले से ही एक विश्व रिकॉर्ड दर्ज है। इस उपलब्धि के बाद अर्यमा और उनके परिवार ने लखनऊ विश्वविद्यालय का विशेष आभार व्यक्त किया है। आर्यमा सीएमएस में पढ़ती हैं आर्यमा शुक्ला ने बताया कि वह कक्षा पांचवीं की छात्रा हैं और सीएमएस में पढ़ती हैं। आज उन्होंने 'Most Decimal Places of Pi Recalled in One Minute' का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड अटेम्प्ट किया, जिसमें 1 मिनट में पाई के अधिकतम दशमलव स्थान याद करने का रिकॉर्ड तोड़ना था। आर्यमा ने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने कई महा मंत्रों के माध्यम से रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता और दुर्गा सप्तशती को 2 घंटे में पढ़ा, श्री राम सहस्त्रनाम को 6 घंटे में पूरा किया और श्री हनुमान सहस्त्रनाम को लगातार पांच बार कंठस्थ पढ़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। प्रेरणा एक इवेंट से मिली थी आर्यमा ने यह भी बताया कि उन्हें यह प्रेरणा एक इवेंट से मिली थी। 2022 में, जब वह केवल 6 वर्ष की थीं, उन्होंने स्टेज पर बच्चों का प्रदर्शन देखा और सोचा कि हम भी कर सकते हैं। तभी से उन्होंने अभ्यास शुरू किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सोचा कि उन्हें कुछ अलग करना चाहिए। इसलिए मंत्रों का रिसर्च करना शुरू किया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें घर में किसी विशेष मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती और वह स्वयं अपने आप सीखती हैं। उनके माता-पिता कभी-कभी मदद करते हैं, जब किसी चीज़ में उन्हें समस्या होती है, विशेषकर उच्चारण में। साथ ही, माता-पिता उन्हें प्रोत्साहित करते हैं और बताते हैं कि तुम यह कर सकती हो, तुम्हारे अंदर बहुत पोटेंशियल है।

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