एनबीआरआई ने 72वां वार्षिक दिवस मनाया:प्रो. अनिल गुप्ता ने जैव-उद्यमिता पर व्याख्यान दिया

Nov 4, 2025 - 03:00
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एनबीआरआई ने 72वां वार्षिक दिवस मनाया:प्रो. अनिल गुप्ता ने जैव-उद्यमिता पर व्याख्यान दिया
सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) ने अपना 72वां वार्षिक दिवस मनाया। इस अवसर पर हनी बी नेटवर्क के संस्थापक और आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर अनिल कुमार गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। प्रो. गुप्ता ने 'आकांक्षी समुदायों के लिए जैव-उद्यमिता विकल्प: नैतिक और उत्तरदायी विज्ञान की ओर' विषय पर वार्षिक दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा विकसित तकनीकें कम लागत पर उद्यमियों तक पहुंच रही हैं। उन्होंने किसानों के लिए नई कपास किस्मों और पेस्टिसाइड नियंत्रण तकनीकों की उपलब्धियों का उल्लेख किया। प्रो. गुप्ता ने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़कर टिकाऊ विकास के नए अवसर बनाने पर चर्चा की ।कार्यक्रम में संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 का विमोचन भी किया गया। निदेशक डॉ. अजित कुमार शासनी ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए वर्ष 2024-25 की प्रमुख उपलब्धियों की जानकारी दी। 4 करोड़ का लाइसेंसिंग राजस्व प्राप्त किया इन उपलब्धियों में गुलाबी बॉलवर्म प्रतिरोधी दुनिया का पहला जीएम कपास शामिल है, जिसका लाइसेंस अंकुर सीड्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया। इससे संस्थान को ₹4 करोड़ का लाइसेंसिंग राजस्व प्राप्त हुआ। वैज्ञानिकों ने भारत के पादप जैव विविधता रिकॉर्ड का विस्तार करते हुए 19 नई लाइकेन प्रजातियों का वर्णन किया और 38 नई वितरण प्रजातियों को दर्ज किया। कृषि के लिए बायोचार आधारित तकनीकें विकसित की संस्थान ने पारंपरिक चिकित्सा का आधुनिक सत्यापन करते हुए कॉप्टिस टीटा के अर्क की गठिया और यूरोलिथियासिस में प्रभावकारिता प्रमाणित की। इसके साथ ही फाइटोफार्मास्युटिकल उत्पाद यूआरओ 05 का भी समर्थन किया गया।स्वच्छ मिट्टी और सतत कृषि के लिए बायोचार आधारित तकनीकें विकसित की गईं। चार नई गुलदाउदी किस्में और अलसी व कपास की बेहतर किस्मों की पहचान की । सीएसआईआर-एनबीआरआई ने हर्बल गुलाल और मंदिर के फूलों से बने उत्पादों सहित 13 हरित प्रौद्योगिकियों को उद्योग जगत में हस्तांतरित किया। संस्थान ने 189 शोध पत्र प्रकाशित किए, पाँच पेटेंट दायर किए और 29 राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समझौते किए।इस अवसर पर बीएसआईपी और प्रो. एचएस श्रीवास्तव फाउंडेशन फॉर साइंस एंड सोसाइटी के साथ सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। संस्थान की नई द्विभाषी वेबसाइट का भी उद्घाटन किया गया।

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