लखनऊ के कलामण्डपम् प्रेक्षागृह में बिरजू महाराज कथक संस्थान द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन कथक नृत्य कार्यशाला का समापन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह और संस्कृति विभाग के विशेष सचिव संजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलन से किया। कार्यक्रम में संस्थान की अध्यक्ष डॉ. कुमकुम धर, उपाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश तिवारी और सहायक निदेशक तुहिन द्विवेदी उपस्थित रहे। समारोह की शुरुआत राग भूपाली में मां सरस्वती की वंदना 'या कुन्देन्दु तुषार हार धवला' से हुई। प्रथम चरण का समापन श्रीकृष्ण भजन से हुआ एक माह के प्रशिक्षण के बाद विद्यार्थियों ने तीनताल में कथक प्रस्तुत किया। प्रथम चरण का समापन श्रीकृष्ण भजन 'अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम' से हुआ। द्वितीय प्रस्तुति में 'शांताकारम् भुजगशयनम्' में विष्णु वंदना की गई। इसमें उपज, आमद, परन जोड़ी, थाट, तोड़े और तिहाई लड़ी शामिल थीं। ठुमरी 'जा तोसे नहीं बोलूं कन्हैया' में बच्चों ने ब्रज की छेड़छाड़ और प्रेम रस प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन नरसिंह अवतार पर आधारित नृत्य नाटिका से हुआ। इसमें संगीत और शब्द रचना आनंद दीक्षित ने की। नृत्य निर्देशन डॉ. उपासना दीक्षित ने किया।