करवा चौथ का महापर्व आज, 10 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जा रहा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ने वाले इस व्रत को करक चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने और चलनी से पति का चेहरा देखने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। मान्यता है कि यह व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर होकर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा का विधान है। ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय इंदरपुर, थम्हनपुरा, बलिया ने बताया कि पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:56 बजे से 7:30 बजे तक रहेगा। करवा चौथ का व्रत कृतिका-रोहिणी नक्षत्र में किया जाएगा। रोहिणी नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में सौंदर्य और चंद्रमा का अत्यंत स्नेही नक्षत्र माना जाता है, जिससे यह करवा चौथ सौभाग्य के लिए विशेष फलदायी होगा। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय रात 7:58 बजे होगा। पूजा विधि के अनुसार, महिलाएं चुनरी, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर, चलनी, मिट्टी का बर्तन, गंगाजल, कुमकुम, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, मिठाई, कच्चा दूध और घी जैसी सामग्री थाली में सजाकर रखती हैं। चंद्रोदय से पहले विधि-विधान से पूजन कर कथा सुनी जाती है। चंद्र दर्शन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और फिर प्रसाद ग्रहण कर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण किया जाता है।