आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति और विधिक सलाहकार के बीच का तनाव कम नहीं हो रहा है। कुलपति के पलटवार के बाद विधिक सलाहकार ने फिर से आरोपों की झड़ी लगा दी है। उनका कहना है कि मेरे खिलाफ जांच हवा में हुई। कमेटी कौन शामिल था, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। मेरे पास मेरे खिलाफ हो रही जांच का कोई पत्र नहीं आया।
डॉ. अरुण दीक्षित ने कहा कि कुलपति प्रो. आशु रानी के द्वारा कहा गया है कि मैं जांच से घबरा रहा हूं। जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं। जबकि मुझे तो अभी तक यह भी पता नहीं है की जांच कर कौन रहा है। जांच कमेटी में कौन-कौन शामिल है। मुझे तो अभी तक किसी कमेटी ने बुलाया भी नहीं है। बयान के लिए मेरे पास कोई पत्र भी नहीं आया।
मैं अपनी जगह बिल्कुल सही हूं। हर जगह अपनी बात रखने को तैयार हूं। दूसरी बात यह है कि जब कुलपति पर ही आरोप हैं तो वह जांच कमेटी कैसे बना सकती हैं। उनके द्वारा बनाई गई जांच कमेटी निष्पक्ष निर्णय कैसे देगी? मैंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज भवन में शिकायत की है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो चीफ सेक्रेटरी को जांच दे दी है। मुझे जब भी वहां बुलाया जाएगा मैं सभी सबूतों के साथ जाऊंगा। इसी प्रकार कुलाधिपति के द्वारा अगर कमेटी बनाई जाती है तो उस कमेटी के सामने भी सभी बात ईमानदारी पूर्वक रखूंगा। मुझे कुलाधिपति पर भी पूरा भरोसा है। पूर्व में भी जब मेरे द्वारा शिकायत की गई थी तो उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने निष्पक्ष जांच की और मेरे आरोपों को सही पाया। कुलपति प्रोफ़ेसर अशोक मित्तल को हटना पड़ा। कुलाधिपति की वह रिपोर्ट मेरे पास मौजूद है। मैं लगातार कर रहा काम
कुलपति ने कहा था मैं विश्वविद्यालय में कार्यरत नहीं हूं। मेरी सेवाएं 2021 में समाप्त कर दी गई। जबकि दोबारा मुझे विश्वविद्यालय में रखे जाने का पत्र मेरे पास है। मैंने लगातार वादों में पैरवी की है। इसके साथ ही कुलपति यह भी बोल रही है कि मेरा 76 लाख का भुगतान हो गया है। वह यह क्यों नहीं बता रही हैं मेरा कितने लाख रुपए का भुगतान रुका हुआ है। कुलपति प्रोफेसर आशु रानी के कार्यकाल का वर्ष 2022 से साढ़े दस लाख रुपए भुगतान उन्होंने रोका हुआ है।