चंदौली में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने शुक्रवार को टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार के नाम संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग को सौंपा। संघ का कहना है कि न्यायालय के इस फैसले से देश भर के लाखों शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ इस फैसले को असंवैधानिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत मानता है। जिलाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह ने कहा कि सेवा में पहले से नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य बनाना अनुचित और अन्यायपूर्ण है। उन्होंने मांग की कि आरटीई एक्ट 2009 में किए गए संशोधन 2017 और एनसीटीई की अधिसूचना 2017 को निरस्त या संशोधित किया जाए। इसका उद्देश्य 2010 से पूर्व नियुक्त लाखों शिक्षकों की आजीविका को भविष्य में किसी भी संकट से बचाना है। इस दौरान वीरेंद्र मोहन सिंह, ज्ञान चंद्र कांत, नित्यानंद मिश्रा, अरविंद त्रिपाठी, ओमप्रकाश भारती और डॉ. अर्चना गौतम सहित कई अन्य शिक्षक उपस्थित रहे। वहीं, शिक्षक संघ ने शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्यसभा सदस्य साधना सिंह को भी एक पत्रक सौंपा। इस अवसर पर राम इच्छा सिंह, उपेंद्र बहादुर सिंह, भूपेंद्र कुमार सिंह जैसे शिक्षक भी मौजूद थे।