देश को 2047 तक विकसित बनाने के विजन में अगर कोई रीढ़ है तो वह बिजली और बिजली तभी सस्ती, भरोसेमंद और सबके लिए सुलभ रह सकती है, जब वह सार्वजनिक क्षेत्र में रहे। यही संदेश लेकर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के हजारों बिजलीकर्मी तिरंगा लेकर सड़कों पर उतरे। पावर सेक्टर छोड़ो कार्पोरेट घरानों के नारे गूंजे अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की पूर्व संध्या और काकोरी क्रांति के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने कार्पोरेट घराने, पावर सेक्टर छोड़ो अभियान की शुरुआत की। लखनऊ से लेकर जिलों तक बिजलीकर्मी तिरंगा लेकर रैलियों में शामिल हुए। सरकार को बिजलीकर्मियों की अपील संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि विजन डॉक्यूमेंट 2047 को सफल बनाना है तो बिजली का निजीकरण रोकना होगा। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि बीते आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने सार्वजनिक क्षेत्र में रहते हुए बिजली व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार किए हैं। एटीएंडसी नुकसान 41% से घटकर 15% पर आ गया है, जो राष्ट्रीय मानक है। निजीकरण से लौटेगा लालटेन युग संघर्ष समिति ने चेताया कि अगर पावर सेक्टर निजी हाथों में गया, तो किसानों, गरीबों और मध्यमवर्ग को महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा। निजी कंपनियों के लिए बिजली सेवा नहीं, मुनाफे का जरिया है। इससे मुख्यमंत्री योगी के विजन 2047 को झटका लगेगा और प्रदेश एक बार फिर लालटेन युग में चला जाएगा। लखनऊ में हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम राजधानी लखनऊ में बिजलीकर्मियों ने रेजिडेंसी से शहीद स्मारक तक रैली निकाली। तिरंगा थामे सैकड़ों कर्मचारियों ने क्रांतिकारियों पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को श्रद्धांजलि दी और अमर शहीदों अमर रहो के नारों से फिजा को देशभक्ति से भर दिया।