प्रयागराज। राजरूपपुर में रविवार शाम हुई जगुआर कार हादसे के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। डेढ़ करोड़ की लग्जरी कार से छह लोगों को रौंद देने की घटना के बाद तीन घंटे तक पूरा इलाका कोहराम रहा। सड़कों पर चीख-पुकार, टूटे शीशे और बिखरे वाहन के पार्ट इस भयानक दुर्घटना की गवाही दे रहे थे। शव रखकर सड़क जाम, इंसाफ की मांग पर अड़े परिजन हादसे में मारे गए प्रदीप के परिजन जब उनके शव को एसआरएन अस्पताल से लेकर घर लौटे तो गुस्से से भर उठे। उन्होंने शव को राजरूपपुर चौराहे पर रखकर सड़क जाम कर दी। देखते ही देखते आसपास के मोहल्ले के लोग भी वहां जुट गए। सड़क पर लोगों का हुजूम लग गया और सबकी एक ही मांग थी, चालक को तत्काल गिरफ्तार करो और सख्त सजा दो। मौके पर हालात बिगड़ते देख प्रशासन सक्रिय डीसीपी मनीष कुमार शांडिल्य और एडीसीपी पुष्कर वर्मा भारी पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे। कई थानों की पुलिस भी बुला ली गई। अधिकारियों ने परिजनों को समझाने की कोशिश की और निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिलाया। करीब दो घंटे तक मान-मनौव्वल के बाद ही परिजन शांत हुए और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। घटनास्थल पर बिखरे मलबे ने बताया हादसे का मंजर हादसे के बाद जगुआर समेत तीनों कारों को क्रेन बुलवाकर हटाना पड़ा। सड़क पर जगह-जगह टूटे शीशे, वाहन के टुकड़े और फैले खून के निशान घटना की भयावहता बयां कर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जैसे ही कारों में टक्कर हुई, जोरदार धमाके की आवाज आई, लगा मानो बम फट गया हो। चश्मदीद बोले- 'तेज धमाका, फिर सब कुछ खत्म हो गया' राजरूपपुर में मूर्ति की दुकान चलाने वाले सोमिल ने बताया कि हादसे के वक्त वह अपनी दुकान पर बैठे थे। अचानक जोरदार धमाका हुआ और उन्होंने देखा कि एक जगुआर कार तेज रफ्तार में आकर उनकी दुकान से टकरा गई। इस दौरान दीपावली पर बिक्री के लिए रखी गई गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां टूट गईं और उनकी स्कूटी भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। कार की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि वह दो-तीन सेकंड में पांच लोगों को रौंदते हुए सीधे दुकान में जा घुसी। “सब कुछ एक पल में खत्म हो गया।” 'चाचा और भाई सड़क पर गिरे तड़प रहे थे' घटना में घायल उमेश के भतीजे अनिल ने बताया कि वह फूलमाला की दुकान लगाता है। हादसे के वक्त वह दुकान की तैयारी कर रहा था। अचानक जोर का धमाका हुआ, मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि एक कार बहुत तेज रफ्तार में लाल रंग की कार से भिड़ गई। फिर वह कार अनियंत्रित होकर दो बाइक और एक स्कूटी को कुचलती हुई मूर्ति की दुकान में जा घुसी। अनिल ने बताया कि वह दौड़कर मौके पर पहुंचा तो उसके चाचा उमेश और भाई आयुष सड़क पर लहूलुहान हालत में पड़े थे। आसपास के लोग भी मदद के लिए दौड़े। सबने मिलकर दोनों को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां प्रदीप को मृत घोषित कर दिया गया। दिवाली की खुशियों के बीच छा गया मातम प्रदीप के घर में एक दिन पहले तक दिवाली की तैयारियां चल रही थीं, घर में रोशनी और मिठाई की खुशबू थी। लेकिन रविवार की शाम यह खुशी मातम में बदल गई। परिजन फूट-फूट कर रो पड़े, मोहल्ले में हर कोई गमगीन था। घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया।