जौनपुर में अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो उमेश कुमार की अदालत ने दो वर्ष पुराने एक मामले में नाबालिग के अपहरण और रेप के आरोपी युवक को दोषी ठहराया है। अदालत ने आरोपी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास और 38,000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। अभियोजन कथानक के अनुसार, पीड़िता ने खुटहन थाने में स्वयं मुकदमा दर्ज कराया था। उसने बताया कि 14 अगस्त 2023 को जब वह पढ़ने जा रही थी, तब इंटर कॉलेज के गेट पर उसके पड़ोस में रहने वाला संदीप आया। संदीप ने उसे बताया कि उसके पिता का एक्सीडेंट हो गया है। पीड़िता घबराकर संदीप की मोटरसाइकिल पर बैठकर पट्टी नरेंद्रपुर होते हुए खुटहन पहुंची। वहां संदीप ने उसे नए कपड़े दिलवाए और फिर शाहगंज से ट्रेन में बैठाकर मुंबई ले गया। मुंबई में संदीप ने उसे अपने पिता सभाराज की खोली में रखा और उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। आठ दिन बाद, 22 अगस्त 2023 को पीड़िता के पिता और मामा उसे खोजते हुए मुंबई पहुंचे। वे पीड़िता को अपने साथ घर वापस ले आए। पुलिस ने मामले की विवेचना पूरी कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। शासकीय अधिवक्ता राजेश कुमार उपाध्याय और कमलेश राय द्वारा परीक्षित कराए गए गवाहों के बयान और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने आरोपी संदीप को नाबालिग के अपहरण और रेप के मामले में दोषी पाते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास और 38,000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। इसके अतिरिक्त, संदीप के पिता सभाराज को भी नाबालिग को संरक्षण देने का दोषी मानते हुए 3 वर्ष के सश्रम कारावास और 3,000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।