जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ में शनिवार को 2.7 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके दोपहर करीब 3.14 बजे महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से 5 किलोमीटर की गहराई में था। गहराई वाले भूकंपों की तुलना में कम गहरे भूकंप ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि पृथ्वी की सतह के नजदीक होने पर उनकी ऊर्जा ज्यादा निकलती है। इससे जमीन का कंपन ज्यादा होता है और इमारतों को ज्यादा नुकसान होता है। गहरे भूकंप सतह पर आने के बाद ऊर्जा खो देते हैं, जिससे नुकसान की आशंका कम होती है। हालांकि, किश्तवाड़ में भूकंप का झटका कम तीव्रता का था। किश्तवाड़ और कश्मीर घाटी का ज्यादातर हिस्सा सीस्मिक जोन 5 में आता है। इसे बहुत ज्यादा जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है। यहां शक्तिशाली भूकंपों की संभावना होती है। आज की अन्य बड़ी खबरें... राष्ट्रपति ने जस्टिस सूर्यकांत को नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया; सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर जज बनते हैं अध्यक्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया है। नालसा भारत सरकार की एक संस्था है, जिसकी स्थापना गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता और सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई थी। भारत के सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई नालसा के पिछले कार्यकारी अध्यक्ष थे। परंपरा के अनुसार, इस पद पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर काबिज होते हैं। RBI ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर 1.72 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ निर्देशों का पालन न करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक पर 1.72 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। RBI के एक बयान के मुताबिक यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लगाया गया है। बैंक के खिलाफ आरोप यह है कि उसने सब्सिडी/प्रतिपूर्ति के माध्यम से केंद्र/राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली राशि के बदले एक इकाई को ब्रिज लोन दिया। 2021 से अब तक एससी/एसटी अत्याचार हेल्पलाइन पर 6.5 लाख से ज्यादा कॉल आए; सबसे ज्यादा कॉल यूपी से दिसंबर 2021 में हेल्पलाइन शुरू होने के बाद से एससी और एसटी के ख़िलाफ़ अत्याचारों के बारे में नेशनल हेल्पलाइन अगेंस्ट एट्रोसिटीज़ (NHAA) को 6.5 लाख से ज़्यादा कॉल आए हैं, जिनमें से लगभग आधी कॉल उत्तर प्रदेश से आई हैं। इनमें में से 7,135 शिकायतें आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई हैं और 4,314 का समाधान किया गया है। इन शिकायतों में मारपीट, सामाजिक बहिष्कार, जाति-आधारित दुर्व्यवहार, जमीन हड़पने और सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच से वंचित करने की घटनाओं से लेकर अत्याचार के मामलों में पुलिस की निष्क्रियता के आरोप शामिल हैं।