उत्तर प्रदेश की आशा वर्कर्स यूनियन की महिलाओं ने जिला कलेक्ट्रेट में अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की मांग की गई है। आशा कार्यकर्ताओं को 50 प्रकार के काम करने पड़ते हैं। इन कामों का उचित भुगतान नहीं मिलता। प्रोत्साहन राशि की दरें वर्षों से नहीं बदली गई हैं। कर्मचारियों को भविष्य निधि और ग्रेच्युटी नहीं मिलती। साप्ताहिक छुट्टी, वार्षिक अवकाश और मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाएं भी नहीं हैं। घोसी ब्लॉक की मृतक आशा कार्यकर्ता बादामी देवी, अतवारी देवी और सरोज देवी के परिवारों को 20-20 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की गई है। परिवार को मिले नौकरी
इसके साथ ही मृतक कर्मियों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग भी की गई है। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुसार, संगिनी और आशा कर्मियों को राज्य स्वास्थ्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। 46वें श्रम सम्मेलन के अनुसार सभी कर्मियों को EPF और ESI का सदस्य बनाया जाए। मौत होने पर मिले मुआवजा
हरियाणा की तरह सेवानिवृत्ति पर 2 लाख रुपये ग्रेच्युटी का प्रावधान किया जाए। बिहार की तरह दुर्घटना में मौत पर मुआवजा दिया जाए। अशक्त कर्मियों को 10,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए। सभी आशा कर्मियों को 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख का जीवन बीमा कवर दिया जाए।