महेश भट्ट @77, खाते समय मां ने कसा तंज:भूखे पेट नौकरी की तलाश में निकले, 15 की उम्र से आज भी काम कर रहे

Sep 20, 2025 - 06:00
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महेश भट्ट @77, खाते समय मां ने कसा तंज:भूखे पेट नौकरी की तलाश में निकले, 15 की उम्र से आज भी काम कर रहे
बॉलीवुड के दिग्गज फिल्ममेकर महेश भट्ट आज 77 साल के हो गए हैं। आशिकी, सारांश और सड़क जैसी हिट फिल्में देने वाले भट्ट का निजी जीवन भी हमेशा चर्चा में रहा। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने बचपन की मुश्किलों, करियर की शुरुआत और आज की सोच पर खुलकर बात की। मां का अकेलापन देखा है बचपन की यादें और फिल्मों में आने की प्रेरणा के बारे में बात करते हुए महेश भट्ट ने कहा- बचपन की जो सबसे बड़ी याद है, वह मेरी मां का अकेलापन है। फिल्मों में आने की प्रेरणा की बात करूं तो जब इंसान अकेला होता है, तो वह खुद से बातें करने लगता है। मैं भी तन्हाई में अपने मन से कहानियां सुनाता था। असल में कला का जन्म तन्हा जहन में ही होता है। बचपन से ही हर तरह का सिनेमा देखता आया हूं। 8-9 साल की उम्र में जब गुरु दत्त साहब की फिल्म 'प्यासा' देखी। ऐसा लगा कि मैं गुरु दत्त की रूह को जानता हूं। आसिफ साहब की 'मुगल-ए-आजम' देखी, तो लगा कि अदा और हिम्मत हो तो वैसी हो। 'मदर इंडिया' देखने के बाद यह महसूस हुआ कि इससे बड़ी फिल्म भारत में नहीं बनी है। बचपन में ही इन फिल्मों का असर मेरे खून में घुल गया, जिसकी गूंज आज तक मेरे काम में सुनाई देती है महेश भट्ट के पिता नानाभाई भट्ट उनके साथ कभी नहीं रहे। उनके मां-बाप की शादी नहीं हुई थी। दरअसल, महेश भट्ट के पिता पहले से ही शादीशुदा थे। इसलिए उन्होंने कभी महेश भट्ट की मां को पत्नी का दर्जा नहीं दिया। इस वजह से महेश भट्ट को भी बहुत कुछ झेलना पड़ा। लोग उन्हें नाजायज औलाद कहकर बुलाते थे। महेश भट्ट ने ई टाइम्स को बताया था कि उनके पिता का एक अलग परिवार था। वह घर आते थे, तो कभी जूते नहीं उतारते थे, क्योंकि वह उनके साथ कभी ठहरते नहीं थे। लेकिन फिर भी उनके मां-बाप के बीच प्यार बहुत था। पिता बेटे महेश भट्ट और उनकी मां की सिर्फ आर्थिक रूप और अन्य चीजों के जरिए मदद करते थे। महेश भट्ट भी गुजारे के लिए स्कूल के दिनों में छोटे-मोटे काम करके पैसे कमाते थे। यहां तक कि उन्होंने कुछ प्रोडक्ट्स के विज्ञापन भी बनाए थे। 15 साल की उम्र से आज तक काम कर रहा हूं दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान महेश भट्ट ने बताया कि उनकी मां 15 साल की उम्र में नौकरी करने को क्यों कहा था? महेश भट्ट बताते हैं- मां ने एक दिन साफ-साफ कह दिया—बेटा, तुझे खाते हुए अच्छा नहीं लगता, तेरी बहनें काम करती हैं और तू यहां खाना खा रहा है। उस समय खाना छोड़कर हाफ पैंट में निकल गया। मां ने रोका नहीं। एक दोस्त के पास पहुंचा और कहा कि कोई भी नौकरी दिलवा दे। ऐसे मैं 15 साल की उम्र से काम कर रहा हूं। आज 77 साल का हो गया हूं। शून्य से शुरुआत करना सबसे बड़ी बात महेश भट्ट ने करियर की शुरुआत राज खोसला के असिस्टेंट के तौर पर की। राज खोसला से मुलाकात का किस्सा शेयर करते हुए महेश भट्ट ने बताया कि कैसे उनकी सोच का उनके करियर पर असर पड़ा है? महेश भट्ट कहते हैं- 19 साल का था जब राज खोसला साहब से मिला। उनके कमरे में गुरु दत्त की तस्वीर लगी थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि फिल्म मेकिंग के बारे में क्या कुछ जानते हो? मैंने साफ कहा कि जी, नहीं। इस पर उन्होंने हंसकर कहा—बहुत अच्छा, शून्य से शुरू करना सबसे बड़ी बात है। उनकी यह बात मेरी जिंदगी में आज तक बनी हुई है। मैं किसी को कुछ नया नहीं देता महेश भट्ट ने इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक टैलेंट को लॉन्च किया है। महेश भट्ट से जब पूछा गया कि जब किसी नए कलाकार को मौका दिया, तो उनका टैलेंट कैसे पहचानते हैं? महेश भट्ट ने कहा- हम एक लाइट हाउस की तरह हैं। समुद्र में जो जहाज भटकते हैं, उन्हें लाइट हाउस रास्ता दिखाता है। मैं जाकर किसी को पकड़ता नहीं हूं, लेकिन जिसे मेरी रोशनी दिखती है, वह खुद आ जाता है। असल में, मेरे अंदर से लोग अपना ही स्वाद पहचानते हैं। मैं किसी को कुछ नया नहीं देता, बस उनके भीतर का बीज बचाता हूं। जैसे माली बीज बोता नहीं, बल्कि उसकी रक्षा करता है। इंसान अपने आप में संपूर्ण है, बस उसे याद दिलाने की जरूरत होती है कि उसमें ताकत पहले से मौजूद है लोगों को पहचाना और ऊंचाई तक पहुंचने में मदद करना है अपने जन्मदिन की सबसे खूबसूरत याद और 77 साल की उम्र में अपने सबसे बड़े लक्ष्य के बारे में बात करते हुए महेश भट्ट कहते हैं- अब जो भी आएगा, वही सबसे खूबसूरत जन्मदिन की याद होगा। अब मेरा लक्ष्य नए लोगों को पहचानना और उन्हें उनकी ऊंचाई तक पहुंचने में मदद करना है। जैसे बगीचा तभी खूबसूरत बनता है जब उसमें अलग-अलग फूल खिलते हैं। महेश भट्ट ने अपनी जिंदगी से प्रेरित फिल्में बनाई महेश भट्ट अकेले ऐसे फिल्ममेकर हैं, जिन्होंने हर तरह की फिल्में बनाईं। फिल्मों के लिए जितना चर्चाओं में रहे, उतना ही विवादों के कारण सुर्खियों में छाए। ये एकमात्र डायरेक्टर हैं जिन्होंने अपनी ही जिंदगी से प्रेरित 6-7 फिल्में बनाईं। इनमें से 3 एक्ट्रेस परवीन बाबी के साथ उनके संबंधों पर थीं। महेश भट्ट के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘अर्थ' विशेष रूप से परवीन बाबी के साथ उनके रिश्ते से प्रेरित थी। यह फिल्म पति और पत्नी के रिश्ते की जटिलताओं और मानसिक स्वास्थ्य के संवेदनशील विषयों को दर्शाती है, जिसमें फिल्म का मुख्य संदेश यह है कि कुछ विवाहों को लंबे समय तक चलने की आवश्यकता नहीं होती है। इस फिल्म में शबाना आजमी और स्मिता पाटिल ने दमदार महिला किरदारों की भूमिका निभाई थी, जो अपनी जिंदगी के उतार-चढ़ावों का सामना करती हैं। इस फिल्म के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हमेशा परेशानी भरे होते हैं और कुछ रिश्तों को समाप्त करना ही बेहतर होता है। इस फिल्म के लिए शबाना आजमी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नेशनल और फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था। शादीशुदा होते महेश भट्ट का परवीन बाबी के साथ रिश्ता था। महिला सशक्तिकरण और मानसिक स्वास्थ्य के विषयों को उठाती थी, जो उस दौर में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को लेकर समाज के रूढ़िवादी विचारों के विपरीत थी। 'डैडी' महेश भट्ट के जीवन के अनुभव पर आधारित फिल्म 'डैडी' महेश भट्ट के निजी अनुभवों पर आधारित थी, जिसमें उनकी बेटी पूजा भट्ट ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। यह फिल्म बाप और बेटी के रिश्ते की जटिलताओं को दर्शाती है, जिसमें पिता का शराब से संघर्ष और बेटी का उसे रोकने का प्रयास शामिल था। फिल्म के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि रिश्ते की जटिलताओं और संवेदनशीलता को आने वाली पीढ़ी के लिए समझना जरूरी है। यह फिल्म दूरदर्शन पर रिलीज हुई थी। पूजा भट्ट के पिता का किरदार अनुपम खेर ने निभाया था। 'आशिकी' महेश भट्ट की पहली पत्नी के साथ उनके प्यार भरे रिश्ते से प्रेरित थी महेश भट्ट ने एक बार खुलासा किया था कि 'आशिकी' उनके पहले प्यार, उनकी पहली पत्नी किरण भट्ट के साथ उनके वास्तविक जीवन के रिश्ते से प्रेरित थी। महेश भट्ट ने किरण को एक संस्थान में दाखिला दिलाया था, जहां उन्हें टाइपिस्ट और शॉर्टहैंड सिखाया गया था, जो फिल्म का एक मुख्य पहलू है। महेश भट्ट की पहली पत्नी का नाम पहले लॉरेन ब्राइट था। शादी के बाद किरण भट्ट रख लिया। फिल्म में दीपक तिजोरी द्वारा निभाया गया दोस्त का किरदार महेश भट्ट के एक दोस्त की भूमिका से प्रेरित था, जिसने उस समय महेश भट्ट की मदद की थी। ‘फिर तेरी कहानी याद आई’ लिव-इन रिलेशनशिप के अनुभवों से प्रेरित ‘फिर तेरी कहानी याद आई’ परवीन बॉबी के साथ महेश भट्ट के लिव-इन रिलेशनशिप के अनुभवों से प्रेरित थी। इस फिल्म में परवीन बाबी के मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों और ब्रेकअप के भावनात्मक पहलुओं को दर्शाया गया है। इस फिल्म में पूजा भट्ट और राहुल रॉय की लीड भूमिका थी। पूजा भट्ट ने परवीन बाबी और राहुल रॉय ने महेश भट्ट से प्रेरित किरदार निभाया था। यह फिल्म महेश भट्ट के लिए अपनी भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने का एक तरीका थी महेश भट्ट की मां के जीवन से प्रेरित थी ‘जख्म’ फिल्म ‘जख्म’ महेश भट्ट के जीवन की सबसे निजी फिल्मों में से एक थी। यह फिल्म उनके पिता नानाभाई भट्ट और मां शिरीन मोहम्मद अली के रिश्ते को भी दर्शाती है, जिसमें मां मुस्लिम और पिता हिंदू थे। फिल्म में एक धर्मनिरपेक्ष महिला की कहानी को दिखाया गया है, जो एक हिंदू से प्यार करती है और अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए संघर्ष करती है। इस फिल्म में पूजा भट्ट ने महेश भट्ट की मां शिरीन मोहम्मद अली का किरदार निभाया था। इस फिल्म को राष्ट्रीय एकता पर आधारित सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का नरगिस दत्त पुरस्कार मिला। इस फिल्म के लिए अजय देवगन को पहली बार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। परवीन बाबी के जीवन से प्रेरित एक और फिल्म परवीन बाबी और महेश भट्ट के साथ रिश्ते से प्रेरित एक और फिल्म ‘वो लम्हे’ बनी। यह फिल्म परवीन बाबी को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाई गई थी। यह फिल्म परवीन बाबी के जीवन, उनके सिजोफ्रेनिया के संघर्ष, और महेश भट्ट के साथ रिश्ते से प्रेरित थी। इस फिल्म में कंगना रनौत ने सिजोफ्रेनिया से पीड़ित अभिनेत्री का किरदार निभाया था। फिल्मों के माध्यम से अपने जीवन की सच्चाई सामने लाए फिल्म ‘हमारी अधूरी कहानी' महेश भट्ट के पिता नानाभाई भट्ट, मां शिरीन मोहम्मद अली और उनकी सौतेली मां हेमलता भट्ट की प्रेम कहानी से प्रेरित थी। इस फिल्म को महेश भट्ट ने प्रोड्यूस किया था जबकि फिल्म के डायरेक्टर मोहित सूरी थे। इस फिल्म में विद्या बालन, इमरान हाशमी और राजकुमार राव की लीड भूमिका थी। महेश भट्ट ने कई मौकों पर कहा है कि उनका अधिकांश काम उनके व्यक्तिगत जीवन से ही प्रेरित रहा है। वह अपनी फिल्मों के माध्यम से अपने जीवन की सच्चाइयों को सामने लाना चाहते हैं।

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