भारतीय वायुसेना में शामिल पहले सुपरसोनिक जेट मिग-21 की 26 सितंबर को चंडीगढ़ में फाइनल फ्लाइट होगी। यानी अब ये आसमान के बजाय म्यूजियम में नजर आएगा। रूसी मूल का यह फाइटर प्लेन साल 1963 में पहली बार चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर लैंड हुआ था, इसलिए विदाई के लिए इसी जगह को चुना है। जब इसकी चंडीगढ़ में पहली लैंडिंग हुई थी, उसी साल अम्बाला में इसकी पहली स्क्वॉड्रन बनी थी। औपचारिक फ्लाईपास्ट यानी रिटायरमेंट समारोह में एयरचीफ मार्शल समेत कई सैन्य अफसर गवाह बनेंगे। यह देश की वायु शक्ति में एक ऐतिहासिक अध्याय के समापन का प्रतीक होगा। मिग 21 का निकनेक 'पैंथर’ या तेंदुआ है। 23वें स्क्वॉड्रन के अंतिम मिग-21 विमान को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर आयोजित समारोह में विदाई दी जाएगी। संभावना है कि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और महिला फाइटर पायलट स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया शर्मा मिग-21 उड़ाएंगे। मिग-21 अंतिम बार फ्लाई-पास्ट करेगा और उसे गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अलविदा कहा जाएगा। अब सिलसिलेवार पढ़ें.. 4 बार दुश्मन को घुटनों पर लाने की कहानी... पहली मिग-21 स्क्वॉड्रन के लीडर दिलबाग सिंह वायुसेना प्रमुख बने
साल 1963 में जब पहली मिग-21 स्क्वॉड्रन बनी तब दिलबाग सिंह ने इसका नेतृत्व किया। दिलबाग सिंह साल 1981 में भारतीय वायुसेना के प्रमुख बने। पहली बार बेड़े में 6 लड़ाकू विमान लाए गए थे। 60 के दशक से ही मिग-21 भारतीय वायुसेना का सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान रहा। यह इतिहास में सबसे अधिक, बड़े पैमाने पर निर्मित किए गए सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक है। इसके 11,000 से ज्यादा विमान 60 से अधिक देशों में इस्तेमाल किए जा चुके हैं। उड़ते मिग-21 फाइटर प्लेन की 3 PHOTOS... एक-दो नहीं 4 बार पाकिस्तान को घुटने पर लाने में सहायक बना... नई पीढ़ी के तेजस-राफेल व सुखोई-30 अब इसी भूमिका में
एयरफोर्स चीफ एपी सिंह के अनुसार भारतीय वायुसेना के लिए मिग-21 ने ‘इंटरसेप्टर’ के रूप में शानदार काम किया। हालांकि तकनीक अब पुरानी हो चुकी है और उसका रखरखाव मुश्किल है। ऐसे में अब समय आ गया है कि तेजस, राफेल और सुखोई-30 जैसे नए प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ा जाए। भारत ने 870 से ज्यादा मिग-21 खरीदे, अब 36 ही बचे
भारतीय वायुसेना ने मिग-21 विमानों के बारे में हाल ही में ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि छह दशकों की सेवा, साहस की अनगिनत कहानियां, एक ऐसा योद्धा जिसने राष्ट्र के गौरव को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया। सेवा में 1960 के दशक में पहली बार शामिल किए जाने के बाद, भारतीय वायुसेना ने अपनी समग्र युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए 870 से ज्यादा मिग-21 लड़ाकू विमान खरीदे थे। अब देश में करीब 36 मिग-21 बचे हैं। 25 अगस्त 2025 को राजस्थान के बीकानेर से आखिरी उड़ान
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ रहे मिग-21 लड़ाकू विमानों ने 25 अगस्त को राजस्थान के बीकानेर के नाल स्थित वायुसैनिक अड्डे पर अपनी अंतिम उड़ान भरी थी। छह दशक तक भारतीय वायुसेना की सेवा करने वाले रूसी मूल के फाइटर प्लेन पर ट्रेनिंग ले चुके पायलटों की कई पीढ़ियों के लिए एक भावुक क्षण था। समय के साथ मिग-21 को एडवांस किया गया था। इनमें से सबसे हालिया ‘बाइसन संस्करण’ था, जो आधुनिक रडार और मिसाइलों से लैस था। भारतीय वायुसेना मौजूदा समय में इस जेट के दो स्क्वाड्रन संचालित कर रही थी आखिरी वर्षों में उड़ता ताबूत कहा गया.. 300 हादसे हुए
एक रिपोर्ट के मुताबिक आखिरी सालों में कई मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हुए। 170 से अधिक भारतीय पायलट और 40 नागरिक मिग-21 दुर्घटनाओं में मारे गए हैं। इसलिए इसे "फ्लाइंग कॉफिन" यानी उड़ता ताबूत कहा जाने लगा था। 1966 और 1984 के बीच निर्मित 840 विमानों में से आधे से अधिक दुर्घटनाओं में खो गए थे। पिछले 4 साल में ही 7 मिग-21 क्रैश हुए।