जालौन में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत की याद में शनिवार को मोहर्रम की नवमी पर जिलेभर में ताजिया जुलूस निकाला गया। उरई, कालपी, कोंच, जालौन और माधौगढ़ तहसील समेत जिले के अलग-अलग इलाकों में 214 ताजिया बनाए गए, जिन्हें रंग-बिरंगे तरीके से सजाकर जुलूसों में शामिल किया गया। जिले में कुल 45 जुलूस निकाले गए जिनमें मुस्लिम समुदाय के हर उम्र के लोग शामिल हुए। सिर पर ताजिया उठाए लोग "या हुसैन" की सदाओं के साथ मसीहा पढ़ते हुए सीना पीटकर मातम करते नजर आए। जुलूस में शामिल ताजिए आकर्षण का केंद्र बने रहे, जिन्हें देखने के लिए सभी धर्म और वर्ग के लोगों की भीड़ लगी रही। कोंच नगर में ताजिया जुलूस की शुरुआत पारंपरिक रूप से चंद्कुआ से हुई। वहां से ताजिया सागर चौकी, रामगंज, नई बस्ती तिराहा, जगत नारायण दीक्षित जरा वाले के घर के।पास, कटरा, लवली चौराहा, स्टेट बैंक, अमरचंद होते हुए पावर हाउस तक पहुंचा। हर रास्ते में ताजिए के साथ चल रही भीड़ ने हुसैन की शहादत को याद कर गम जाहिर कर रहे थे, और शोक में डूबे हुए थे। इस दौरान आग से खेलते हुए भी मुस्लिम समुदाय के लोग खेलते नजर आए। बता दें कि शनिवार रात भर ताजिए का जुलूस निकाला जाएगा, जो रात भर चलकर रविवार दसवीं को कर्बला में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए थे। संवेदनशील इलाकों में पुलिस बल के साथ दो प्लाटून पीएसी को तैनात किया गया था। जगह-जगह पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी गई ताकि जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो सके। मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है और इसकी 10वीं तारीख यानी ‘आशूरा’ को कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत हुई थी। इसी की याद में ताजिया निकाला जाता है, जिसे इमाम हुसैन की कब्र का प्रतीक माना जाता है।