यूपी में मानसून का आधा सीजन बीत चुका है, लेकिन अब तक राज्य में सामान्य से करीब 7% कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि, जुलाई के अंतिम वीक में मानसून दोबारा सक्रिय हुआ है। इससे बारिश की स्थिति कुछ बेहतर हुई है। 30 जुलाई तक प्रदेश में औसतन 327 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। जबकि सामान्य तौर पर इस अवधि तक 350.9 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी। अभी पूरे प्रदेश में मानसून की क्या स्थिति है? अगस्त में मानसून का यूपी में क्या हाल रहेगा? किन-किन जिलों में अब तक औसत से कम और अधिक बारिश हुई है? पढ़िए… उत्तर प्रदेश में मानसून सीजन के पहले दो महीनों 1 जून से 30 जुलाई के दौरान राज्य के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। हालांकि कुछ जिले ऐसे भी रहे, जहां इस अवधि में सामान्य से अधिक बारिश हुई। मौसम विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें, तो फर्रुखाबाद, लखीमपुर-खीरी, उन्नाव ,सुल्तानपुर, बुलंदशहर, रामपुर और बरेली में सामान्य से 16 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। हालांकि बिजनौर, प्रतापगढ़, अलीगढ़, मैनपुरी, हाथरस और कानपुर जैसी जगहों पर सामान्य से थोड़ी अच्छी बारिश दर्ज की गई। मानसून में 5 जिलों में हुई सामान्य से ज्यादा बारिश
यूपी में 1 जून से लेकर 30 जुलाई तक ललितपुर, महोबा, बांदा, एटा और हमीरपुर में अच्छी बारिश दर्ज की गई। महोबा में 139 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। इसी तरह से ललितपुर में 842 एमएम बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। यहां 126 फीसदी बारिश हो चुकी है। पिछले 5 साल में कैसा रहा बारिश का ट्रेंड यूपी में पिछले कई साल से सामान्य से कम बारिश दर्ज की जा रही है। बीते 5 साल के आंकड़े पर अगर नजर डालें, तो 2022 में यूपी में सबसे कम बारिश हुई थी। इस दौरान सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश हुई। वहीं, 2023 में सामान्य से 17 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार अगस्त और सितंबर के महीने में यूपी में अच्छी बारिश होगी। अगस्त महीने में कैसा रहेगा मौसम
उत्तर प्रदेश में अगस्त, 2025 के दौरान मौसम सामान्य से बेहतर रहने वाला है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, इस महीने राज्य के कई हिस्सों में अच्छी और नियमित बारिश होगी। महीने भर में 8 से 15 दिन बारिश के आसार हैं। वहीं, दिन का तापमान 32 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। किसानों और आम लोगों के लिए यह महीना राहत भरा रह सकता है, क्योंकि मानसून की वापसी जुलाई के अंत से ही मजबूत दिख रही है। मौसम विभाग ने अगस्त के पहले वीक में बांदा, चित्रकूट, गोंडा, मिर्जापुर, मऊ, गोरखपुर, सुल्तानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, संत रविदास नगर, जौनपुर, गाजीपुर और आजमगढ़ जैसे जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल, बदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर में भी भारी बारिश का अनुमान है। उत्तर प्रदेश में जुलाई महीने की बारिश को सामान्य माना जा सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगस्त में भी कमोबेश यही स्थिति बनी रहने की संभावना है। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक, मानसून ट्रफ फिलहाल सेंट्रल यूपी में स्थित है। आने वाले दिनों में इसके उत्तर की ओर खिसकने की संभावना है। इससे तराई क्षेत्रों में अधिक बारिश हो सकती है। प्रो. मनोज श्रीवास्तव के मुताबिक, अभी तक प्रदेश में बारिश की रफ्तार संतुलित रही है। अगर अगस्त में भी ट्रफ सक्रिय बनी रही, तो फसलों को राहत मिल सकती है। पाकिस्तान और राजस्थान के बीच के क्षेत्र में जब लो-प्रेशर सिस्टम बनता है, तब उससे निकलने वाली रेखा ट्रफ लाइन कहलाती है। 5 जिलों में भारी बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति
बलिया, बांदा, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी में ज्यादा बारिश और बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ की स्थिति बनी है। इन जिलों में प्रशासन ने बचाव कार्य, राहत शिविर और एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की तैनाती की है। जालौन में यमुना नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच रही है। प्रशासन ने 11 गांवों के लिए 16 राहत केंद्र सक्रिय कर दिए हैं। जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है। 24 जिलों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। वहीं संभल जिले में गंगा नदी उफान पर है, जिससे यहां की आबादी प्रभावित हो रही है। खासकर गुन्नौर क्षेत्र में जहां जलस्तर करीब 4 फीट बढ़ गया है। चित्रकूट, ललितपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, वाराणसी सहित कई जिलों में नदियों के उफान और पानी के घरों में प्रवेश कर गया है। प्रयागराज में भी गंगा नदी उफान पर है। नैनी में यमुना का 81.13 मीटर और फाफामऊ में गंगा का 81.30 मीटर जलस्तर पहुंच गया है। यह खतरे के निशान 84.734 मीटर के काफी करीब है। ललितपुर के माताटीला बांध में पानी लबालब भरने पर 13 गेट खोलकर जल निकासी की गई। इससे बेतवा नदी उफान पर है और आसपास के गांवों में अलर्ट जारी है। वहीं, सोनभद्र का रिहंद बांध 24 साल बाद जुलाई में ओवरफ्लो हुआ है। प्रदेश के सबसे बड़े बांध से एक गेट खोलकर पानी छोड़ा गया है। कम बारिश से किसानों को नुकसान
जुलाई में सामान्य बारिश हुई है। हालांकि इसका असर खेतों और खरीफ की फसलों पर साफ दिखने लगा है। खरीफ की फसलों में धान, मक्का, बाजरा, अरहर, तिलहन, मूंगफली, सोयाबीन, तिल आदि हैं। बीएचयू के एग्रीकल्चर एक्सपर्ट प्रो. पीके सिंह बताते हैं- बारिश की कमी का सबसे ज्यादा असर धान की रोपाई पर पड़ा है। कई जिलों में नमी की कमी के कारण किसान अभी तक रोपाई पूरी नहीं कर पाए हैं। पूर्वांचल, तराई और बुंदेलखंड के कई हिस्सों में किसान सिंचाई के लिए निजी पंप और नलकूपों पर निर्भर हैं, जिससे लागत भी बढ़ रही है। किसानों का खर्च भी बढ़ा है। दरअसल, धान की फसल की वृद्धि और उपज काफी हद तक मानसून पर निर्भर होती है। इसके लिए समय पर और पर्याप्त मात्रा में पानी जरूरी होता है। इससे पौधे ठीक से विकसित हो सकें। लेकिन जब मानसून कमजोर या अनियमित होता है, तो पैदावार घटने की आशंका भी बढ़ जाती है। सब्जियों के भी बढ़ सकते हैं दाम
एक्सपर्ट बताते है कि कम बारिश का असर सिर्फ अनाज पर नहीं, बल्कि सब्जियों की पैदावार पर भी दिखेगा। अगर अगस्त-सितंबर में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो उत्पादन घट सकता है। सब्जियों के दामों में उछाल आ सकता है। जिसका असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा। -------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... यूपी की महिला के लिवर में पल रहा बच्चा, दुनिया में केवल 8 ऐसे केस, इंट्राहेपेटिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कितनी खतरनाक? यूपी में पेट दर्द-उल्टी से परेशान महिला चेकअप के लिए पहुंची तो डॉक्टरों के होश उड़ गए। महिला प्रेग्नेंट है, लेकिन बच्चा गर्भाशय की जगह लिवर में पल रहा है। ये केस डॉक्टरों के लिए भी हैरान करने वाला है। पढ़े पूरी खबर...