बाराबंकी में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत केवल मुकदमों के निस्तारण का मंच नहीं रही, बल्कि यह टूटते रिश्तों को जोड़ने वाली 'खुशियों की अदालत' बनकर सामने आई। जनपद न्यायालय परिसर और एडीआर भवन में आयोजित इस लोक अदालत के दौरान आपसी वैवाहिक विवादों से जूझ रहे 53 दंपतियों का पुनर्मिलन कराया गया। इन जोड़ों को जजों की मौजूदगी में रिश्तों को नया जीवन मिला। पुनर्मिलन के अवसर पर सभी जोड़ों को एक साथ विदा किया गया, उन्हें माला पहनाई गई और मिठाई खिलाई गई। न्यायालय परिसर इस दौरान भावुक और खुशी भरे पलों का साक्षी बना, जहां कई जोड़ों की आंखों में खुशी के आंसू और चेहरे पर सुकून साफ झलक रहा था। लोक अदालत का शुभारंभ प्रशासनिक न्यायमूर्ति माननीय श्री मनीष कुमार एवं जनपद न्यायाधीश श्रीमती प्रतिमा श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुआ। पारिवारिक न्यायालय के माध्यम से वर्षों से लंबित वैवाहिक विवादों को संवाद, समझौते और सहमति के जरिए सुलझाया गया। इस मौके पर प्रशासनिक न्यायमूर्ति श्री मनीष कुमार ने कहा कि लोक अदालत की सबसे बड़ी ताकत विवाद नहीं, समाधान है। जब टूटते रिश्ते फिर जुड़ते हैं, तभी न्याय की वास्तविक भावना साकार होती है। न्याय तभी पूर्ण माना जाता है, जब वह लोगों को राहत, संतोष और विश्वास प्रदान करे। राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान बाराबंकी जनपद में कुल 1,67,509 मामलों का ऐतिहासिक निस्तारण किया गया। इसके माध्यम से 38 करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक की धनराशि अर्थदंड और प्रतिकर के रूप में जमा कराई गई। सिविल कोर्ट बाराबंकी में 22,326 वादों का निस्तारण हुआ, जबकि प्री-लिटिगेशन स्तर पर राजस्व, बैंक एवं अन्य विभागों के 1,35,085 मामलों का समाधान किया गया। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायालय द्वारा 94 मामलों में 5 करोड़ 74 लाख रुपये से अधिक का प्रतिकर प्रदान किया गया। वादकारियों की सुविधा के लिए लोक अदालत के दौरान स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, हेल्प डेस्क, पेयजल एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं की गई थीं। कुल मिलाकर यह राष्ट्रीय लोक अदालत न केवल न्यायिक सफलता का प्रतीक बनी, बल्कि 53 परिवारों के लिए नई शुरुआत, विश्वास और सुलह की मिसाल बनकर उभरी।