लखनऊ में श्री रामलीला समिति महानगर द्वारा आयोजित रामलीला का मंचन रविवार को भगवान विष्णु की आरती के साथ शुरू हुआ। इस अवसर पर मेयर सुषमा खर्कवाल, विधायक ओपी श्रीवास्तव और पर्वतीय महापरिषद अध्यक्ष गणेश चंद्र जोशी उपस्थित रहे। मंचन में दशरथ-कैकेई संवाद का दृश्य प्रस्तुत किया गया। कैकेई अपने वरदान पर अड़ी रहीं और कहा कि यदि राम वन नहीं जाएंगे तो वह प्राण त्याग देंगी। वचनबद्ध दशरथ ने अपनी विवशता व्यक्त की। राम के कारण पूछने पर कैकेई ने वरदान का रहस्य बताया। वन गमन के बाद केवट प्रसंग का मंचन किया गया बिना किसी विरोध के भगवान राम ने वन जाने का निश्चय किया। उन्होंने सीता को रोकने का प्रयास किया, लेकिन सीता ने कहा कि वह उनके बिना नहीं रह सकतीं। लक्ष्मण ने भी उनके साथ वन जाने की जिद की। इसके बाद तीनों वन के लिए प्रस्थान कर गए। वन गमन के बाद केवट प्रसंग का मंचन किया गया । निषादराज केवट ने प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराने से पहले उनके चरण धोए और आरती उतारी। गंगा पार करने के बाद प्रभु राम ने केवट को मुद्रिका भेंट की, जिसे निषादराज ने भक्ति भाव से अस्वीकार कर दिया। राम ने प्रसन्न होकर उन्हें गले लगाया और आशीर्वाद दिया। दशरथ ने राम के वियोग में मूर्छित होकर प्राण त्याग दिए अयोध्या में मंत्री सुमंत राम के वन गमन से व्याकुल दिखे। राजमहल लौटने पर दशरथ ने राम के वियोग में मूर्छित होकर प्राण त्याग दिए।मंचन में यशी लोहुमी ने राम, अनुराधा मिश्रा ने सीता, फाल्गुनी लोहुमी ने लक्ष्मण, कुणाल पंत ने दशरथ, आशा रावत ने कैकेई, कमल पंत ने सुमंत, महेंद्र पंत ने निषादराज और हारशिला पांडे ने वन स्त्री की भूमिका निभाई।