लखीमपुर के 25 कृषक और स्वयं सहायता समूह सदस्यों का एक दल मंगलवार को नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी (गुजरात) के लिए रवाना हुआ। यह दल केले के तने से फाइबर आधारित उत्पाद बनाने की तकनीक सीखने के लिए शैक्षणिक भ्रमण पर गया है। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक कुमार ने पलिया ब्लॉक से चयनित इन सदस्यों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह भ्रमण नाबार्ड के FSPF फंड से स्वीकृत "केला फाइबर आधारित उत्पाद" डीपीआर परियोजना का हिस्सा है। इस परियोजना का उद्देश्य केले के तने को कचरे के बजाय आय का स्रोत बनाना है। दल में 14 महिलाएं और 11 पुरुष शामिल हैं, जो कैपेसिटी बिल्डिंग और एक्सपोजर विजिट के लिए गए हैं। विकास भवन परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सीडीओ अभिषेक कुमार ने बस में सवार महिला कृषकों से संवाद किया। उन्होंने उनकी जिज्ञासाओं को सुना और उनका उत्साहवर्धन किया। सीडीओ ने कहा कि यह भ्रमण केवल सीखने का अवसर नहीं है, बल्कि सीखी गई तकनीकों को गांव-गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी है। उन्होंने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने पर जोर दिया। इस भ्रमण के दौरान, दल नवसारी कृषि विश्वविद्यालय में केला फाइबर से जुड़े आधुनिक तकनीकी प्रयोगों, मूल्य संवर्धन और उद्यमिता के मॉडलों का प्रत्यक्ष अवलोकन करेगा। परियोजना के तहत जिले के कुल 50 कृषक और 100 स्वयं सहायता समूह सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के डीडीएम प्रसून ने परियोजना के तीन प्रमुख घटकों की जानकारी दी। इनमें केला फाइबर इंजीनियरिंग बोर्ड का निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट व तरल उर्वरक निर्माण और हस्तशिल्प शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सामान्यतः अपशिष्ट माने जाने वाले केले के तने से फाइबर निकालकर कृषकों को प्रति तना ₹10 तक का अतिरिक्त लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर पीडी डीआरडीए एस.एन. चौरसिया, एआरसीएस रजनीश कुमार सिंह, डीडीएम (नाबार्ड) प्रसून, एलडीएम अशोक कुमार गुप्ता और सीवीओ डॉ. दिनेश सचान सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।