वृंदावन रामलीला का 9 वां दिन:भगवान राम ने किया बाली का वध, हनुमान जी ने की जलाई लंका

Oct 13, 2025 - 03:00
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वृंदावन रामलीला का 9 वां दिन:भगवान राम ने किया बाली का वध, हनुमान जी ने की जलाई लंका
मथुरा के वृंदावन में चल रही रामलीला के नवें दिन बाली वध,अशोक वाटिका उजाड़ने और लंका दहन लीला का मंचन किया गया। नवें दिन की लीला का शुभारंभ भगवान राम दरबार के छवि चित्र के समक्ष पूर्व पालिकाध्यक्ष पुष्पा शर्मा,रंगनाथ मंदिर की CEO अनघा श्री निवासन,समाजसेवी गोविंद अग्रवाल मुकुट वालों ने दीप प्रज्वलन कर किया। इसके बाद सभी अतिथियों ने स्वरूपों की आरती की। सुग्रीव से निभाई मित्रता लीला का मंचन सीता जी की खोज में निकले प्रभु श्री राम और हनुमान जी के मिलन से प्रारंभ हुआ। इसके बाद भगवान राम ने सुग्रीव से मित्रता निभाते हुए बाली का वध किया। बाली का वध करने के पश्चात सुग्रीव को राज सिंहासन पर विराजमान कर अंगद को युवराज बनाया गया। इस लीला के बाद वानर सेना सीता जी की खोज में जुट गयी। हनुमान जी को याद कराया उनका बल लीला में सीता जी का पता चलने के बाद वानर सेना समुद्र किनारे बैठकर सोचने लगी कि 7 योजन के इस समुद्र को कौन पार करे। तब जामवंत ने हनुमान जी को उनके बल और पराक्रम का स्मरण कराया। इसके बाद हनुमान जी सुलोचना को अपने बुद्धि विवेक से परास्त कर लंका पहुंचे। जहां लंका के द्वार पर मौजूद राक्षसी को उन्होंने मुठिका मार गिरा दिया। अशोक वाटिका उजाड़ने की लीला देख आनंदित हुए दर्शक श्री रंगनाथ जी के बड़ा बगीचा में आयोजित त्रयोदश दिवसीय रामलीला महोत्सव में रविवार को मां सीता की खोज में निकले पवन पुत्र हनुमान द्वारा लंका में अशोक वाटिका उजाड़ने के बाद स्वर्ण नगरी लंका के दहन की रोमांचकारी लीला को उत्साहित दर्शकों ने खूब सराहा। श्री राधा सर्वेश्वर लीला संस्थान के संचालक सौरभ द्विवेदी के आचार्यत्व में आयोजित चतुर्थ रामलीला महोत्सव में रविवार को कलाकारों ने अपनी अद्भुत अदायगी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अशोक वाटिका में विराजित मां सीता से मुलाकात करने का मंचन हुआ। हनुमान जी ने पूँछ से जलाई लंका अशोक वाटिका को उजाड़ने के बाद हनुमान जी को मेघनाद द्वारा युद्ध में ब्रह्मपाश में बांधकर लंकाधिपति रावण के दरबार में ले जाने,लंका नरेश रावण ,हनुमान संवाद के बाद मारुति नंदन द्वारा स्वर्ण नगरी लंका के दहन का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। इस अवसर पर संरक्षक विनोद वार्ष्णेय,अध्यक्ष रामविलास चतुर्वेदी,संस्थापक आलोक बंसल,भीमसेन अग्रवाल,योगेश द्विवेदी, लक्ष्मी नारायण दीक्षित,आनंद शर्मा,अनिल गौतम, अलौकिक शर्मा, बंशी तिवारी,कालीचरण सिंह,शुभम अग्रवाल,गोविंद खंडेलवाल,कैलाश सर्राफ,आनंद गुप्ता,नीरज गौतम,योगेश थोकदार,धनंजय सिंह,आशीष गौतम,सुभाष पहलवान लाला,धर्मेंद्र गौतम लीला,अमित गौतम,प्रेम बल्लभ बादशाह आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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