उन्नाव में आयोजित दोसर वैश्य समाज समिति सम्मेलन में प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने वैश्य समाज की राजनीतिक भागीदारी पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी में वैश्य समाज का हिस्सा लगभग 15 से 16 प्रतिशत है, लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व में यह संख्या बहुत कम है। मंत्री अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधान परिषद दोनों को मिलाकर वैश्य समाज की भागीदारी केवल 6 से 7 प्रतिशत है। उन्होंने मंच से स्पष्ट किया कि समाज अब 15 प्रतिशत से कम भागीदारी पर कोई समझौता नहीं करेगा और अपनी उचित हिस्सेदारी की मांग करेगा। नितिन अग्रवाल ने कहा, "हम अपनी हिस्सेदारी कम नहीं चाहेंगे, और न ही इस पर कोई समझौता करेंगे। हम मांग भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से ही कर सकते हैं, क्योंकि हमें उम्मीद भी भाजपा से ही है। कोई दूसरा दल हमें अपना मानता भी नहीं है।" उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि अन्य राजनीतिक दल वैश्य समाज को नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी और बसपा वैश्य समाज को भाजपा समर्थक मानकर उनसे बात करने या वोट मांगने की आवश्यकता नहीं समझते। मंत्री ने आगे कहा कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने समाज के व्यापारी वर्ग का सम्मान बढ़ाया है और उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया है। उन्होंने वैश्य समाज से संगठित होकर अपनी आवाज बुलंद करने की अपील की। उनका उद्देश्य था कि आने वाले चुनावों में समाज की राजनीतिक भागीदारी और मजबूत हो सके। अग्रवाल ने जोर दिया कि वैश्य समाज के लोग हमेशा राष्ट्र निर्माण और आर्थिक विकास में अग्रणी भूमिका निभाते आए हैं, इसलिए अब समय आ गया है कि उन्हें राजनीति में भी उचित प्रतिनिधित्व मिले। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में वैश्य समाज के लोग शामिल हुए। मंच से मंत्री ने कहा “हमारा समाज मेहनती है, राष्ट्रवादी है और भाजपा के साथ है। लेकिन समर्थन के साथ-साथ अब सम्मान और भागीदारी भी जरूरी है। यही हमारा अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे।”