गोरखपुर में शनिवार को शब्दों और विचारों का अनूठा संगम देखने को मिला। होटल विवेक में 'गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट' के आठवें एडिशन का भव्य आगाज हुआ। उत्सव के पहले दिन साहित्य, कला, पत्रकारिता और सिनेमा जगत की दिग्गज हस्तियों ने अपनी उपस्थिति से शहर को वैचारिक रूप से समृद्ध किया। लेखक अपने अनुभवों को देता साहित्य का रूप कार्यक्रम की शुरुआत 'शब्द संवाद' सत्र के साथ हुई, जिसमें भाषा की मर्यादा और साहित्य की वर्तमान प्रासंगिकता पर गंभीर विमर्श हुआ। इस सेशन में प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रकांता और पद्मश्री प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि लेखक अपने अनुभवों को ही अपने साहित्य में साझा करते हैं। संवेदना का विस्तार उसकी लेखनी में भाव और स्वरूप जोड़ती चली जाती है। साहित्यकार समाज को अपनी दृष्टि से देखता है। वो सही या गलत का संदेश अवश्य देगा। मर्म को छूने वाला साहित्य सदैव प्रभावित करता है। फिल्ममेकर मधुर भंडारकर ने की 'गुफ्तगू'
दूसरे सेशन 'गुफ्तगू' में प्रसिद्ध फिल्ममेकर मधुर भंडारकर पधारे। यह सेशन काफी इंट्रेस्टिंग और इंटरेक्टिव रहा। एंकर ने कुछ सवालों के माध्यम से उनके अनुभव की जानकारी दर्शकों तक पहुंचाई। फिल्म इंडस्ट्री की महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने कहा- मध्यमवर्गीय परिवार से निकलने वाले लोग फिल्मों में अपने शौक के दम पर ही आगे बढ़ते हैं। फिल्ममेकिंग में फिल्म के क्राफ्ट पर काम करना सबसे जरूरी है और उसके उद्देश्य पर ध्यान देना जरूरी है। इस लाइन में काफी अनिश्चितता है। भंडारकर ने अपने करियर में बहुत सी हिट मूवी दी है, जिसमें रंगीला, चांदनी बार, कैलेंडर गर्ल्स, बबली बाउंसर, सत्ता, पेज थ्री, कॉरपोरेट और ट्रैफिक सिग्नल, हीरोइन और अन्य शामिल है। 'हीरोइन' और 'पेज थ्री' से हजारों लोग इंस्पायर हुए
उन्होंने बताया कि मैं हमेशा यह कोशिश करता हूं कि समाज में छिपी बुराईयों को लोगों तक पहुंचा सकूं। ताकि वे हर अच्छे- बुरे चीजों से अवेयर हो सके। मेरी फिल्म हीरोइन और पेज थ्री से हजारों लोग इंस्पायर हुए है। किसी ने इसे देखने के बाद फिल्म इंडस्ट्री में आने का सपना देखा। तो दूसरी तरफ तमाम लड़कियों ने सच्चाई देखकर हीरोइन बनने का मन बदल दिया। दोनों तरह के प्रभाव देखने को मिले क्योंकि मैंने सच्चाई दिखाई। आगे भी ऐसी ही कोशिश करते रहूंगा। 'वाइफ' में दिखेगा पति के स्टारडम का उनकी पत्नी पर असर
मेरी आने वाली फिल्म वाइफ भी पत्नियों के संघर्ष और मनोस्थिति को दर्शाती है। पति के स्टारडम का उनकी पत्नी पर क्या असर पड़ता है। ये देखना रोचक होगा। मैं एक्टिंग तो नहीं करता पर मैं लोगों से बेस्ट परफॉर्मेंस निकलवा सकता हूं। मधुर भंडारकर की बातें दर्शकों ने बहुत ध्यान से सुनी। इतना ही नहीं उनकी हर लाइन दर्शकों के दिलों को छू रही थी। तालियों की गड़गड़ाहट से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता था। इस सेशन की खास बात यह रही कि मधुर ने दर्शकों से भी संवाद किया और उनके सवालों के जवाब भी दिए। कविता : बची हुई लौ या बचाने वाली रोशनी ? तीसरे सत्र में कविताओं के महत्व पर चर्चा की गई। साहित्य अकादमी पुरस्कृत कवयित्री गगन गिल, साहित्य अकादमी पुरस्कृत कवि बद्री नारायण, कवि व लेखक प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव, कवि व ग़ज़लकार वेंद्र आर्य जैसी विभूतियों ने मंच को सुशोभित किया। सभी रचनाकारों ने अपनी पंक्तियों से माहौल को भावुक और ऊर्जावान बना दिया। साथ ही कविता लेखन को लेकर अपने अनुभव को साझा किया। दर्शकों ने इस सेशन को भी खूब एन्जॉय किया। सिनेमा और ओटीटी पर तीखी चर्चा फेस्ट का एक मुख्य आकर्षण 'ओटीटी बनाम थिएटर' सेशन रहा। इस दौरान महारानी सीरीज फेम एक्टर विनीत कुमार और फिल्म समीक्षक डॉ. पुनीत विसरिया ने ओटीटी के दौर में थिएटर के अस्तित्व पर चर्चा की। इस दौरान विनीत कुमार ने कहा- सिनेमा की जगह ओटीटी नहीं ले सकता या कोई अन्य प्लेटफॉर्म नहीं ले सकता। यह ग्लोब से निकली कहानी है, उसका विस्तार कर के हम दर्शाते हैं तब कहानी दिखती है। सिनेमा को पैसा लूटने की जगह बना दी गयी है उन्होंने आगे कहा- ओटीटी आम आदमी के थोड़ा नजदीक है, इसलिए उसकी पहुंच ज्यादा है। सिनेमा हॉल अब सामान्य व्यक्ति के लिए धन को ले कर कठिन काम है। वहां चीजें महंगी हैं। आम आदमी वहां कम जाता है। सिनेमा को सिंगल थियेटर न बना के पैसा लूटने की जगह बना दी गयी है। ओटीटी में नग्नता और फूहड़पन पर लगाम अवश्य लगनी चाहिए
वहीं फिल्म समीक्षक डॉ. पुनीत विसरिया ने कहा- सिनेमा अब नए रूप वेब सीरीज और टीवी सीरियल के रूप में आ रहा है। अब "फ्यूजन ऑफ टेलीविजन एंड इंटरनेट" हो गया है। भविष्य में सिनेमा और ओटीटी के आगे एक नई चीज है, जो लोकप्रिय हो रही, वह है रील। उन्होंने कहा कि ओटीटी में नग्नता और फूहड़पन पर लगाम अवश्य लगनी चाहिए। लोकतंत्र और मीडिया एक दूसरे के पूरक लोकतंत्र और मीडिया : कौन किसे दिशा दे रहा है? विषय पर विमर्श पांचवे सेशन में किया गया। इस सेशन में एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा, दयाशंकर शुक्ल सागर के साथ दैनिक भास्कर के स्टेट एडिटर मुकेश माथुर में मौजूद रहे। पत्रकारों का कहना है कि मीडिया का रोल लोकतंत्र में बहुत महत्वपूर्ण है। जिस तरह से लोकतंत्र के बिना मीडिया की कल्पना बेमानी है, उसी तरह मीडिया के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मीडिया तथा लोकतंत्र एक दूसरे के पूरक है। गोरखपुर के सितारों ने बिखेरी चमक स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देने के उद्देश्य से आयोजित सत्र 'गोरखपुर के चमकते सितारे' ने दर्शकों का खास ध्यान खींचा। इसमें शहर की उन विभूतियों पर चर्चा हुई जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन किया है। इस सेशन में भारतीय कुश्ती कोच चन्द्र विजय सिंह, बॉलीवुड सिंगर पारुल मिश्रा, हास्य कवि नीर गोरखपुरी और लोकगायिका अनन्या सिंह मौजूद रहीं। सभी ने अपनी कलाओं की प्रस्तुति से दर्शकों का मनोरंजन किया। साथ ही अपने करियर का अनुभव उनसे साझा किया। 'कबीर' के जरिए क्रांति का शंखनाद पहले दिन का समापन बेहद प्रभावशाली रहा। मानवेंद्र त्रिपाठी के निर्देशन में मंचित नाटक 'कबीर: क्रांति का शंखनाद' ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कबीर के दर्शन और उनकी बेबाकी को जीवंत करती इस प्रस्तुति ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर कड़ा प्रहार किया और शांति व प्रेम का संदेश दिया। 'गजल नाइट' में झूमेगा शहर
फेस्ट के दूसरे दिन आकर्षण का केंद्र रहेगा 'गजल नाइट'। डॉ. हरिओम और टीम अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को सराबोर करेंगे। साथ ही सत्र 'नवोत्पल' में युवा कवियों की प्रतिभा देखने को मिलेगी।