लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से लौटने के35 दिन बाद यानी 17 अगस्त को भारत आएंगे। उनके पिता शंभु दयाल शुक्ला ने यह जानकारी दैनिक भास्कर से साझा की। उन्होंने बताया- बेटा अभी अमेरिका में है, उससे गले मिले एक साल हो गया। शुभांशु भारत आने के बाद लखनऊ आएंगे या बेंगलुरु जाएंगे, यह अभी कंफर्म नहीं है। अगर वह लखनऊ नहीं आएंगे, तो हम बेंगलुरु जाएंगे। अभी वह अंतरिक्ष से लौटने के बाद फिर से चलना सीख रहे हैं। इसके लिए रोजाना 4 घंटे प्रैक्टिस करते हैं। वहीं, मां आशा शुक्ला कहती हैं- वह काफी कमजोर दिख रहे हैं। वीडियो कॉल पर बेटे को इस हालत में देखती हूं तो इमोशनल हो जाती हूं। घर आए तो जो कहेगा, वही बनाकर खिलाऊंगी। एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को शुभांशु शुक्ला सहित चार एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए थे। 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:01 बजे ISS पहुंचे थे। 18 दिन रहने के बाद 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौट थे। कैलिफोर्निया के तट पर लैंडिंग हुई थी।
पिता बोले- उसके लिए चलना अभी आसान नहीं पिता शंभु दयाल शुक्ला बताते हैं- धरती पर लौटने के बाद से शुभांशु 3 से 4 घंटे चलने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्हें धीरे-धीरे चलना पड़ता है। उनका शरीर अभी पूरी तरह से रिकवर नहीं हुआ है। थोड़ी देर चलने पर चक्कर आ जाता है। डॉक्टरों ने बताया है कि उन्हें पूरी तरह से सामान्य होने में 8 से 10 दिन लग सकते हैं। मां बोलीं- वह कुछ नहीं बोलता, आंखों में थकावट है
मां आशा शुक्ला ने बताया- फोन पर जब बात होती है, तो शुभांशु हमेशा यही कहता है- मैं ठीक हूं, चिंता मत करो, लेकिन हम उसके चेहरे को देखकर समझ जाते हैं कि वह पूरी तरह से ठीक नहीं है। उसकी थकावट आंखों में दिखती है। शरीर में अब भी कमजोरी है। फिजियोथेरेपी चल रही है। बहुत घबराहट होती है...बहुत मन करता है, उसे गले लगाने का। घर आए तो जो कहेगा, वही बनाकर खिलाऊंगी। शुभांशु ने अंतरिक्ष में योग का वीडियो शेयर किया, लिखा-वहां स्थिर रहना मुश्किल शुभांशु शुक्ला ने शनिवार को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में योग करते हुए एक वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। लिखा- शुरुआत में उन्हें माइक्रो ग्रेविटी यानी गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में खुद को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण लगा। यह वीडियो मिशन के कुछ दिन बाद का है, जब मैंने अंतरिक्ष में अपने शरीर की गतिविधियों पर कुछ हद तक नियंत्रण पा लिया था। मैं बस एक जगह स्थिर रहना चाहता था, लेकिन सफल नहीं हो पाया। अंतरिक्ष में जरा सी हलचल भी आपके शरीर को हिला देती है। वहां पूरी तरह स्थिर रहना भी एक कला है। यह कुछ वैसा ही है, जैसे भागती दुनिया में मन को स्थिर रखना कठिन हो जाता है। आज कुछ वक्त खुद के लिए निकालें और थोड़ी देर थम जाएं। तेज भागने के लिए कभी-कभी धीमा होना जरूरी होता है। शुभांशु ने पत्नी-बेटे से मुलाकात की थी, कहा- स्पेस मिशन को इंसान ही जादुई बनाता है
धरती पर लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला ने पत्नी कामना और 6 साल के बेटे किआश से मुलाकात की थी। शुभांशु ने पत्नी को गले लगाया और बेटे को गोद में उठाया था। शुभांशु ने तस्वीरें शेयर करते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा था- अंतरिक्ष की उड़ान अद्भुत होती है, लेकिन लंबे समय बाद अपनों से मिलना भी उतना ही अद्भुत होता है। धरती पर लौटकर जब परिवार को गले लगाया तो लगा कि जैसे घर आ गया। शुभांशु ने लिखा- आज ही किसी प्रियजन को खोजें और उन्हें बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं। हम अक्सर जीवन में व्यस्त हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि हमारे जीवन में लोग कितने अहम हैं। स्पेस मिशन जादुई होते हैं, लेकिन उन्हें इंसान ही जादुई बनाता है। शुभांशु ने 2 दिन पहले लिखा था- फिर से चलना सीख रहा
अंतरिक्ष में 18 दिन रहकर लौटे लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अब डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उन्होंने गुरुवार को तस्वीरें शेयर करते हुए इंस्टाग्राम पर लिखा था- अंतरिक्ष से लौटकर अब फिर से चलना सीख रहा हूं। जैसे धरती से अंतरिक्ष में जाने पर कई तरह के बदलाव होते हैं। उसी तरह के बदलाव लौटने के बाद भी होते हैं। अंतरिक्ष से लौटने के बाद सीधा चलना भी चुनौती बन जाता है। शरीर की प्रतिक्रिया धीमी हो जाती है। संतुलन बिगड़ता है। इन सबसे मानसिक तनाव भी होता है, लेकिन ये सभी बदलाव अस्थायी होते हैं। समय के साथ शरीर खुद को फिर से संतुलित कर लेता है। ------------------------------------------- शुभांशु से जुड़ी हुई ये खबर पढ़िए- 'इतना प्राउड फील कराया कि सपने कम पड़ गए':लखनऊ में शुभांशु शुक्ला की मां रो दीं, पिता बोले- बेटा 144 करोड़ में अकेला मेरे जीवन का सबसे बड़ा दिन है। मेरी लाइफ का सबसे बड़ा अचीवमेंट है। सब पूछते हैं आपने कौन सा पदक जीत लिया? मैं ये कहना चाहूंगा कि मैंने सबसे बड़ा पदक जीत लिया। मेरे बेटे ने वो कर दिखाया, जो 144 करोड़ की आबादी में कोई न कर सका। वो देश की आबादी में अकेला एक है। यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा ...पूरी खबर पढ़ें