सदी के महानायक अमिताभ बच्चन शनिवार को अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं। मुंबई से लेकर प्रयागराज तक उनके चाहने वालों में जश्न का माहौल है। हर कोई अपने अंदाज़ में इस दिन को यादगार बनाना चाहता है। लेकिन इस सुखद पल के बीच अमिताभ बच्चन का एक सपना अब तक अधूरा है। उसकी टीस प्रयागराज में उनके करीबियों व फैंस को परेशान करती है। वो है महानायक का वह घर जिसमें उनका बचपन बीता था। आज भी उनका नहीं बन सका। प्रयागराज का छोरा यानि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का बचपन गंगा के किनारे बीता। शहर के 17 क्लाइव रोड स्थित बंगले में पिता के साथ उन्होंने अपने बचपन के सुनहरे दिन गुज़ारे। इसी घर को उनके पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने किराए पर लिया था। यहीं बैठकर उन्होंने अपनी प्रसिद्ध आत्मकथाओं में, क्या भूलूं क्या याद करूं और नीड़ का निर्माण फिर जैसी कई रचनाएं लिखीं। फैन कमल किशोर कमल ने बताया कि इसी बंगले की यादों में हरिवंश राय बच्चन ने अपने संस्मरण दस द्वार से सोपान तक में भी अमिताभ के बचपन का ज़िक्र किया है। यही वह घर है, जहां से बच्चन परिवार ने साहित्य और संस्कार दोनों की विरासत पाई। फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखते ही अमिताभ बच्चन ने वो ऊंचाइयां छुईं। जिनकी कल्पना हर कलाकार करता है। पैसा, शोहरत और सम्मान, सब कुछ उन्हें मिला। लेकिन प्रयागराज का वह घर आज भी उनके दिल के बेहद करीब है। कई बार उन्होंने इस मकान को खरीदने की इच्छा जताई। घर के मालिक स्व शंकर तिवारी ने उन्हें नहीं बेंचा। कमल किशोर कमल ने बताया कि दरअसल में अभिनेता अमिताभ बच्चन ने 17 क्लाइव रोड स्थित बंगले को अपना बता दिया। जिससे बंगले के मालिक अधिवक्ता शंकर तिवारी खासे नाराज़ हो गए थे। जिसका परिणाम यह रहा कि अमिताभ के बेटे अभिषेक बच्चन पत्नी ऐश्वर्या व बेटी के साथ 17 क्लाइव रोड स्थित बगला पंहुचे तो बगले के केयर टेकर ने उनके लिए घर के दरवाजे नहीं खोले। मौजूदा समय मे अब एक ट्रस्ट को दान कर दिया गया। अमिताभ बच्चन का यह सपना “अपने बचपन के घर को फिर से अपना बनाना” आज भी अधूरा है। कमल किशोर बताते हैं कि जब उनकी बहन पूनम किशोर ने अमिताभ बच्चन से मुलाकात की थी। बच्चन ने प्रयागराज की कई यादों को साझा किया था, जिसमें क्लाइव रोड का घर, पुरानी गलियां और स्कूल के दिन शामिल थे। बचपन के साथी श्याम कृष्ण पाण्डेय ने बताया कि प्रयागराज में अमिताभ बच्चन की यादें सिर्फ उस घर तक सीमित नहीं हैं। उनका स्कूल, उनके खेल के मैदान और वो गलियां आज भी उन्हें याद करती हैं। 1984 में जब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा तो उनके करीबी सहयोगी रहे श्यामकृष्ण पांडेय आज भी उन दिनों को याद करते हैं। वे बताते हैं कि लोगों में अमिताभ बच्चन के लिए दीवानगी इस कदर थी कि लड़कियां उनके सामने दुपट्टा बिछा देती थीं। कई तो कहती थीं कि जिस हाथ से अमिताभ जी से हाथ मिलाया उसे एक हफ्ते तक धोती नहीं थीं। आज जब अमिताभ बच्चन अपने जीवन के 82वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, उनके नाम से प्रयागराज में अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और कई स्थानों पर उत्सव हो रहे हैं। फिर भी सदी के इस नायक के दिल में एक कसक अब भी बाकी है। वो मकान जहां हरिवंश राय बच्चन ने कविता लिखी, जहां अमिताभ ने अपने बचपन के दिन देखे वह आज भी उनका नहीं है। सदी के महानायक ने दुनिया में सब कुछ हासिल किया। प्रयागराज की मिट्टी में बसा अपना बचपन और वो घर उनके लिए अब भी अधूरी कहानी है। यही वजह है कि हर जन्मदिन पर जब पूरी दुनिया उन्हें “हैप्पी बर्थडे बिग बी” कहती है, तो प्रयागराज की फिजाओं में एक सादा-सी पुकार गूंजती है।