सहारनपुर के भूतेश्वर मंदिर रोड स्थित जानकी धाम में शारदीय नवरात्र के दौरान एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। यहां मां भगवती के श्वेत रूप में 'नौरता' (जौ के अंकुर) उगते हुए देखे गए, जिसे श्रद्धालु 'सफेद नौरता' कह रहे हैं। आमतौर पर नौरते हरे या पीले रंग के होते हैं, ऐसे में दुग्ध श्वेत नौरते का उभरना भक्तों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा है। नवमी के अवसर पर मंदिर परिसर में भारी भीड़ उमड़ी। सहारनपुर सहित आसपास के जिलों और दूर-दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दिव्य दृश्य का दर्शन करने पहुंचे। मंदिर में माता के चरणों में 221 अखंड दीपक प्रज्वलित किए गए। इन दीपकों की खासियत यह रही कि ये केवल स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा ही नहीं, बल्कि विदेश और देश के बड़े शहरों से जुड़े भक्तों की मन्नतों के रूप में भी जलाए गए। कनाडा, अमेरिका,दिल्ली,मुंबई और बेंगलुरु जैसे स्थानों से जुड़े भक्तों ने भी दीपदान कराया।अनुष्ठान का संचालन कर रहे पंडित योगेश दीक्षित ने बताया कि यहां प्रज्वलित होने वाली ज्योत मां वैष्णो देवी और मां शाकुंभरी देवी से लाई गई ज्योति से जलाई जाती है।पंडित दीक्षित ने यह भी जानकारी दी कि मंडप में स्थापित मूर्तियां विशेष मिट्टी से निर्मित की जाती हैं। इनका निर्माण एक महीने पहले से शुरू हो जाता है,जिसमें वशाला,गुड्साल,हाथियों के नीचे की मिट्टी और राज से प्राप्त मिट्टी का उपयोग होता है।उन्होंने कहा कि जैसे प्रत्येक पार्थिव शरीर का अंत निश्चित है, वैसे ही मिट्टी से बनी इन मूर्तियों का विसर्जन होता है, लेकिन इनके माध्यम से मां भगवती की अपार महिमा का अनुभव किया जा सकता है। इस बार नवरात्र में महिषासुर मर्दिनी का रूप, गणपति महाराज और माता के विभिन्न स्वरूपों की झलक श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही है।पूरे परिसर में कलश स्थापना और जौ बोए जाने से वातावरण पूरी तरह देवीमय बना हुआ है। पंडित दीक्षित ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में केवल तीन से चार बार ही श्वेत नौरता देखा है।मान्यता है कि जब भगवती अत्यंत प्रसन्न होती हैं तो अपने श्वेत रूप में प्रकट होती हैं। इस बार का यह दृश्य भक्तों के लिए अविस्मरणीय रहा।