मुजफ्फरनगर के शाहपुर क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक गांव सोरम एक बार फिर चर्चा में है। यहां 16 से 18 नवंबर तक सर्व जातीय-सर्व खाप पंचायत का आयोजन किया जाएगा। यह पंचायत पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत की सामाजिक और पारंपरिक चेतना का केंद्र बनेगी। तीन दिवसीय यह आयोजन सामाजिक आत्ममंथन का अवसर है। आयोजन समिति से जुड़े मनीष बालियान ने बताया कि यह पंचायत केवल संवाद का मंच नहीं, बल्कि समाज की दिशा तय करने वाला निर्णायक क्षण है। इसमें देशभर से विभिन्न धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के खाप चौधरी हिस्सा लेंगे और समाज के भविष्य पर विचार-विमर्श करेंगे। इस पंचायत से बड़ी उम्मीदें हैं, क्योंकि वर्ष 2010 में हुई पिछली पंचायत ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए थे। इनमें गोत्र में विवाह पर रोक और मृत्यु भोज जैसी परंपराओं का विरोध शामिल था, जिससे समाज में अनुशासन और आर्थिक संतुलन मजबूत हुआ था। अब एक बार फिर खापों के नेतृत्व से अपेक्षा है कि वे बदलते समय के साथ सामाजिक न्याय और सुधार के नए अध्याय लिखेंगे। पंचायत की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। लगभग 40 बीघा भूमि पर एक विशाल टेंट सिटी बनाई जा रही है। देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले खाप प्रतिनिधियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्थाएं सामूहिक सहयोग से की जा रही हैं। गांव के सभी लोग, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों, इस आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।