'विधायक मोहम्मद फहीम इरफान अपनी पत्नी की कसम खाकर बताएं कि गांवों में पानी नहीं आ रहा।' विधायक मो.फहीम इरफान ने जल जीवन मिशन के अधूरे कामों पर सवाल उठाया, तो 12 अगस्त को यूपी विधानसभा में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने ये जवाब दिया। विधायक इरफान ये कसम खा सकते हैं या नहीं? दैनिक भास्कर ने जब इसका इन्वेस्टिगेशन किया, तो जवाब मिला- हां। क्योंकि, जल जीवन मिशन में अफसरों ने अधूरे कामों को 100% बता दिया। इधर, गांवों में टोटियों से पानी नहीं आ रहा, ये बात गांव के लोग कसम खाकर कह रहे हैं। पढ़िए, पूरा इन्वेस्टिगेशन... हमने इन्वेस्टिगेशन के लिए बुंदेलखंड-विंध्याचल क्षेत्र चुना, क्योंकि जल जीवन मिशन के कामों को लेकर इन दोनों क्षेत्रों में सरकार का सबसे ज्यादा फोकस रहा है। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी इसी क्षेत्र से हैं। हमने यहां के 5 जिले महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और मिर्जापुर के ऐसे 10 गांव चिह्नित किए, जहां जल जीवन मिशन ने 100% काम होने का दावा किया है। हमने एक गांव ऐसा भी लिया, जहां 98% काम हुआ। हमें इनमें से एक भी गांव ऐसा नहीं मिला, जो सरकार और मिशन के दावों पर खरा उतरा हो। इनमें से किसी भी गांव के सभी घरों में नलों और टोटियों से पानी नहीं आ रहा। केवल कागजों पर इन गांवों में 100% काम दिखाने का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। कुओं से घरों तक डाल रखा है पाइप जल जीवन मिशन की हकीकत जानने के लिए जब हम महोबा के बछेछर कलां गांव पहुंचे। वहां हमें हैंडपंप से पानी भरती सुमन दिखीं। बोलीं- गांव में पानी नहीं आया है, इसलिए हैंडपंप से भर रहे। गर्मियों में तो इसका पानी भी नीचे चला जाता है। तब नदी तक जाना पड़ता है। वहीं, गांव में खास बात ये दिखी कि कुओं में बोर लगा है। ज्यादातर लोगों ने कुओं से अपने-अपने घर तक पाइप डाल रखा है। गांव में जितने बिजली के तार नहीं, उतने पाइपों के जाल दिखे। गांव में दुष्यंत मिले। कहने लगे- कुछ जगह पाइप पड़ा है। रोड खोद दी, लेकिन सही नहीं की। सरकारी टोटी नहीं लगी, पानी भी नहीं आया। उर्मिला बताती हैं- पानी की बहुत दिक्कत है। दूर से लाना पड़ रहा। पहले कुएं थे, अब उसमें भी पानी कम हो गया। ऊषा ने कहा- जिनके यहां बोर है, उनके यहां से पानी ला रहे। अजय सिंह राजपूत बोले- 5 साल से जल जीवन मिशन की टंकियां बन रहीं, अब तक पूरी नहीं हुईं। गांव के प्रधान रणविजय सिंह राजपूत ने बताया- अभी 25% पाइप पड़ा है। इसके बाद ठेकेदार भाग गया। 5 साल से पाइप लगा है, लेकिन पानी नहीं आया बछेछर कलां गांव से एक किमी दूर बछेछर खुर्द है। यहां भी सरकारी आंकड़ों में काम पूरा है। गांव पहुंचे तो आशाराम ने बताया- जब टोटी लगानी थी, तो हमसे आधार कार्ड और राशन कार्ड की फोटोकॉपी ली। अब 5 साल से इंतजार कर रहे हैं कि पानी आएगा। तब से ठेकेदार भाग गया, जो लौटकर नहीं आया। गांव के अंदर वर्षा मिलीं। कहने लगीं- 5 साल से पाइप लगा है, लेकिन पानी नहीं आया। नदी से पानी लाते हैं, तब घर का काम चलता है। अशोक ने बताया कि आधे गांव में टोटियां नहीं लगीं। लाइन भी नहीं डाली। हमने शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कागजों में सब बढ़िया कर रखा है। बछेछर खुर्द से 3 किमी दूर लमौरा को सरकार ने टोटी से पानी आने वाला गांव बताया है। लेकिन, गांव में एंटर करते ही श्याम सिंह यादव ने इसकी हकीकत बयां कर दी। कहने लगे- टोटियां लगीं, लेकिन पानी नहीं है। आगे बढ़ने पर बोरिंग का पानी भरते कुछ बच्चे दिखे। चबूतरे पर बैठी महिलाओं से बात की तो कहने लगीं- यहां पानी नहीं आ रहा। घर-घर पाइप लगे हैं, बस। 2 साल पहले टोटी लगा कागजों में 100% काम पूरा किया, मौके पर पानी ही नहीं हमीरपुर में उमनियां पंचायत में दाे गांव आते हैं। इनमें उमनियां और चुरवा गांव हैं। उमनियां में टंकी लगी है। उमनियां से तकरीबन एक किमी दूर ही चुरवा गांव है। इन दोनों गांव में जल जीवन मिशन का काम 100% बताया है। लेकिन, जब हम चुरवा गांव पहुंचे, तो पता चला कि यहां तो पानी ही नहीं आ रहा। स्थानीय निवासी रजनी बताती हैं, तकरीबन डेढ़ या दो साल पहले यहां टोटियां लगाई गई थीं, लेकिन अभी तक पानी नहीं आया। अधिकारी पूछने आते हैं। हम शिकायत भी करते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। गांव के प्रधान प्रतिनिधि शैलेंद्र बताते हैं- मेरी पत्नी प्रधान है, लेकिन आज तक मेरे घर पर पानी नहीं आया। इस गांव में केवल 5% घरों में पानी आता है। 95% लोग आज भी पानी की किल्लत झेल रहे हैं। 2023 में टोटियां तो लगा दी गईं, लेकिन पानी नहीं आया। जब शिकायत करो तो ठेकेदार का फोन आता है, इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती। महिलाओं में गुस्सा, बोलीं- टोटियां उखाड़कर फेंक देना चाहिए हमीरपुर के खड़ाखर गांव में जल जीवन मिशन के मुताबिक, 2022 में काम पूरा हो चुका है। लेकिन, हालात ये हैं कि आधे गांव में पानी नहीं आ रहा। अब भी गांव की आबादी टयूबवेल और हैंडपंप के पानी पर निर्भर है। गांव की विमला बताती हैं- ट्यूबवेल से भी यहां तक पानी नहीं पहुंच रहा। दिन में कई-कई बार पानी लेने जाना पड़ रहा। कृष्णा कहती हैं- इन टोटियों को तो उखाड़कर फेंक देना चाहिए। 3 साल में भी पानी नहीं आया। उमेश कहते हैं- जब से टोटियां लगीं, पानी नहीं आया। अपने पैसे से हैंडपंप लगवाए, लेकिन प्रधान ने वह भी सरकारी करा दिया। टोटियां लगीं, लेकिन पानी 10-15 दिनों में एक बार आता है हमीरपुर से 40 किमी दूर सिसोरल गांव है। यहां जल निगम और जल जीवन मिशन के 3 ट्यूबवेल हैं। इसके बावजूद यहां पानी नहीं आ रहा। टोटियां लगीं हैं, लेकिन पानी नहीं है। प्रधानपति विजय शंकर प्रजापति कहते हैं- 3 ट्यूबवेल होने के बाद भी 40% लोगों को पानी नहीं मिल रहा। अधिकारी केवल आंकड़े भर रहे, जमीनी हकीकत अलग है। विजय शंकर प्रजापति की बातों में कितनी सत्यता है? यह जानने के लिए हम गांव में पहुंचे, तो सुषमा मिलीं। कहने लगीं- टोटियां लगी हैं, लेकिन पानी कभी आता भी है तो 10-15 दिनों में एक बार। घर में शादी-ब्याह हो या कोई मेहमान आ जाए, तो दिक्कत होती है। बतशिया ने कहा- 2 साल पहले फरवरी में घर में पाइप लगा, पानी अब तक नहीं आया। इसलिए पाइप निकालकर रख लिया। रामलखन कहते हैं- कई बार लखनऊ तक शिकायत की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। बांदा में जहां 30 कुएं, 25 हैंडपंप और 6 तालाब, वहां भी टोटियों में रोज पानी नहीं 20 साल पहले जखनी गांव सूखा, अपराध, भुखमरी और पलायन से जूझ रहा था। लेकिन, अब इसका जलग्राम मॉडल देश के 1 हजार से ज्यादा गांव अपना चुके हैं। इस गांव के लोगों का जुनून वाक्य है- कैसा भी पानी हो…बचा लेना है। यही वजह है कि यहां 30 कुएं, 25 हैंडपंप और 6 तालाब हैं, जो सालभर लबालब रहते हैं। यहां भी जल जीवन मिशन की टोटियां लगीं, लेकिन इनसे पानी घर-घर नहीं पहुंच रहा। प्रधान सुरेश कहते हैं- जल जीवन मिशन का काम तो यहां हो गया, लेकिन पाइप डालने के लिए रोड खोद दिए। टोटियां लगी हैं, लेकिन पानी कभी-कभार आ रहा। अभी 3 महीने तक पानी नहीं आया। कोई समय भी निर्धारित नहीं है। हाल ही में मंत्रीजी आए थे। बोले- एक हफ्ते में पानी आ जाएगा, लेकिन नहीं आया। बुजुर्ग गायत्री ने कहा- 10-15 दिन में पानी आ रहा है। रामकुमार भी गायत्री की बात में हां में हां मिलाते हुए कहने लगे- जब पानी आता है, तो सिर्फ घंटाभर के लिए आता है। गांव के रामजी ने कहा- पानी एक दिन आएगा, फिर नहीं आएगा। कभी सुबह 5 बजे चालू कर दिया, तो कभी 7 बजे। बांदा एक्सईएन इमरान ने कहा- कुछ कमियां हैं, दुरुस्त कर रहे
बांदा एक्सईएन इमरान ने बताया- ज्यादातर जगहों पर पानी आ रहा है। आप जिन इलाकों में गए, वहां काम चल रहा है। जल्दी ही पानी आ जाएगा। जहां तक 100% FHTC की बात हैं। वहां हम टेस्टिंग कर चुके हैं। कुछ कमियां हैं, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। जल्द ही पानी आएगा। यूपी बॉर्डर के गांव में काम पूरा होने का दावा, जमीनी हालात बदतर जल जीवन मिशन की हकीकत जानने के लिए हम चित्रकूट जिले के यूपी-एमपी बॉर्डर पर बसे गांव इटवा टुडैला पहुंचे। गांव में पहुंचते ही हमारी मुलाकात बुजुर्ग रामकृष्ण त्रिपाठी से हुई। उनके घर के आगे पानी भरा था। कहते हैं- जल जीवन मिशन वाले सड़क खोदकर पाइप डाल गए, लेकिन पानी नहीं आया। अब बरसात में निकलना मुश्किल हो गया है। गांव के एक हिस्से में बुजुर्ग दंपती घर के आगे बैठे मिले। यहां भी रास्ते पर कीचड़ था। कहने लगे- पाइप डालने वाले खोदकर चले गए। टोटियां तो अभी लगी ही नहीं। वहां से आगे बढ़े, तो उमा से मुलाकात हुई। वह हैंडपंप से पानी भर रही थीं। बोलीं- घर की तरफ पाइप ही नहीं डाले। आधे से ज्यादा गांव में घूमने के बाद सुनीता पांडेय के घर के सामने टोटी दिखी। सुनीता बोलीं- जून में टोटी लगाई, लेकिन पानी नहीं आया। गांव के एक हिस्से में 4-5 लोग बैठे थे। इनमें से नत्थू कहने लगे- हम गांव वाले 2 साल से पानी का ही इंतजार कर रहे हैं। 2 साल से पानी का इंतजार कर रहे हैं लोग इटवा टुडैला से होकर हम डोडा माफी गांव पहुंचे। यहां भी वही स्थिति मिली। गांव में राजकुमार से मुलाकात हुई। राजकुमार कहते हैं- 2 साल पहले ठेकेदार पाइप डालकर गया, तब से पानी का इंतजार कर रहे हैं। यहां के लोग कुएं में बोरिंग के जरिए घरों तक पानी पहुंचा रहे हैं। शिवबहादुर ने कहा- पानी की टंकी बना दी लेकिन पानी टोटियों में नहीं आ रहा। अधिकारी कह रहे हैं कि काम चल रहा है, जल्द पानी आएगा। शिवबहादुर की पत्नी कंचन ने कहा- गांव के अलग-अलग हिस्से में हैंडपंप हैं। वहां से पानी लाना आसान नहीं। चित्रकूट एक्सईएन आशीष कुमार बोले- जो कमियां, उन्हें सुधार रहे
चित्रकूट एक्सईएन आशीष कुमार का कहना है- जहां हमने 100% (FHTC Functional Household Tap Connection) बताया, वहां टेस्टिंग कर चुके हैं। पानी आ रहा है। हालांकि, कई जगह कमियां हैं, जिन्हें सुधार रहे हैं। कई जगह अभी काम हो रहा है। जल्द ही सब जगह पानी आने लगेगा। मिर्जापुर में चढ़ाई पर गांव होने से पानी नहीं आया, अफसरों ने काम पूरा दिखा दिया यूपी बॉर्डर पर सबसे आखिरी गांव भैसोड़ बलाय पहाड़ के सबसे आखिरी छोर पर बस्ती में हम पहुंचे। वहां पता चला कि एक बड़ी आबादी के घरों में टोटियां तो लगीं, लेकिन पानी नहीं आ रहा। हमारी मुलाकात राकेश कुमार यादव से हुई। राकेश खेत से लौटे थे। प्यासे थे, इसलिए बाल्टी में रखे पानी को लोटे में लेकर प्यास बुझाई। फिर टोटियां दिखाते हुए बोले- पानी आता ही नहीं, इसलिए इसे बंद कर दिया। डेढ़ साल से टोटियां लगी हैं, लेकिन पानी नहीं आया। रोज के पानी की व्यवस्था हैंडपंप और दूसरों के यहां बोर से कर रहे हैं। कार्यक्रम के लिए पैसा देकर टैंकर मंगाते हैं। आगे जाने पर अनारकली से मुलाकात हुई। अनारकली ने कहा- हम पहाड़ पर रहते हैं। यहां न तो पानी है, न लाइट। 3 साल से खाली टोटियां देख रहे हैं। हमारी मुलाकात श्याम यादव से हुई। श्याम ने बताया- जल जीवन मिशन के अफसर बता रहे हैं कि चढ़ाई की वजह से पानी नहीं आएगा। टोटियों में पानी नहीं, दूसरे से मांगने जाने पर विवाद हो रहे इसके बाद हम देवहट ग्राम पंचायत के कटरा गांव के लहुरियादह मोहल्ले में पहुंचे। यह छोटा-सा गांव सड़क किनारे बसा है। गांव में सड़क किनारे पानी आता है, लेकिन गांव के आखिरी हिस्से में नहीं आता। हमारी मुलाकात बुजुर्ग सुखरजिया से हुई। वह कहती हैं- पूरी जिंदगी गुजर गई। गांव पहाड़ का पानी पीया, लेकिन अब सरकार घर-घर पानी दे रही है तो हमारी टोटी में पानी ही नहीं आ रहा। ऐसी टोटियों का क्या करें? वहीं मौजूद रजनी कहती हैं- सड़क पर ही पानी आता है। हम लोगों के यहां पानी नहीं आता। जिनके यहां पानी आता है, वहां से लेने जाओ तो लोग बिगड़ने लगते हैं। हम रजनी के घर से निकलकर सुधारी के घर पहुंचे। सुधारी टोटी के नीचे कपड़े धो रही थीं, लेकिन टोटी में पानी नहीं था। बाल्टी में बाहर से पानी लाकर कपड़े धो रही थीं। सुधारी के बगल में रहने वाली राजकली बताती हैं- 3 साल से टोटी लगी है। 500 मीटर दूर गांव के बाहरी हिस्से से पानी लाना पड़ रहा। ग्राम प्रधान कौशलेंद्र गुप्ता कहते हैं- गांव में हालात खराब हैं। ज्यादातर हिस्सों में कभी पानी नहीं आया। मिर्जापुर से लेकर लखनऊ तक शिकायत की है। सरकार की जांच रिपोर्ट में भी अधूरे काम साबित… बीते महीनों में सरकार ने यूपी के 75 जिलों में नोडल अफसरों के जरिए काम का निरीक्षण कराया। इन्वेस्टिगेशन के दौरान हमें नोडल अफसरों द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट मिली। नोडल अफसरों ने उन स्कीमों का मुआयना किया, जो 50 करोड़ से ऊपर की हैं। निरीक्षण के बाद जांच रिपोर्ट जिले में तैनात अधिकारियों को भी भेजीं, ताकि उन खामियों को सुधारा जा सके। इसमें 4 तरह की रिपोर्ट है- सपा विधायक बोले- मैंने पूरे यूपी की समस्या रखी सपा विधायक मोहम्मद फहीम इरफान ने कहा- मैंने अपने सवाल में पूरे यूपी का मुद्दा उठाया, लेकिन मंत्री ने गलत जवाब दिया। जहां तक हमारे गांव की बात है, तो सालों से परिवार से ही प्रधानी है। वहां जब जल जीवन मिशन की शुरुआत नहीं हुई थी, तब से जल निगम का ट्यूबवेल लगा है। वहां पानी की दिक्कत नहीं है। लेकिन, यूपी के बहुत से गांव हैं, जहां पानी का संकट है। एमडी राजशेखर ने कहा- जहां दिक्कत है, उसे सुधार रहे हैं
इस मामले को लेकर हमने जल निगम ग्रामीण के एमडी राजशेखर से बात की। राजशेखर ने हमसे वॉट्सऐप कॉल पर बात की। ---------------------------- भास्कर इन्वेस्टिगेशन की ये खबरें भी पढ़ें- हर बोरी पर ₹80 एक्स्ट्रा दो, जितना चाहिए यूरिया लो:यूपी में सोसाइटी अध्यक्ष से कैमरे पर ब्लैक में खाद की डील 'हम 350 रुपए रेट लगा देंगे, 50 बोरी (यूरिया) उठा लो सीधे। भाड़ा तुम्हारा रहेगा।' 273 रुपए में मिलने वाली यूरिया की एक बोरी एटा की सहकारी सोसाइटी के अध्यक्ष शिववीर तोमर 350 रुपए में ब्लैक कर रहे हैं। नावर गांव की सहकारी सोसाइटी में किसानों के लिए आया यूरिया खुद अध्यक्ष बड़े स्तर पर बेच रहे हैं। प्रत्येक बोरी पर 80 रुपए ज्यादा वसूल रहे। पढ़ें पूरी खबर यूपी में कैमरे पर लाशों का सौदा, पोस्टमॉर्टम कर्मचारी-पुलिस की डील, बोले- एक लाश डेढ़ लाख में 'महीने में 30 से 40 लाशें निकल जाती हैं। आप बहुत कम दे रहे हैं। अभी पुराना रिकॉर्ड देखा जाए… उस समय डेढ़ लाख का रेट चल रहा था। राममूर्ति वाले डेढ़ लाख रुपए देकर जाते थे।' यह दावा है बरेली के पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारी सुनील का। यूपी के बरेली में लाशों का सौदा हो रहा है। पढ़ें पूरी खबर यूपी में दांत-हड्डी के डॉक्टर उगा रहे बाल:दो मौतों के बाद भी जान से खिलवाड़, जज-अफसरों का भी हेयर ट्रांसप्लांट पॉलिटिशियन, जज, एसीपी, डीसीपी समेत कई अफसरों के बाल लगाए हैं। डरने की कोई बात नहीं, महीने में 30 से 40 केस करते हैं। ये दावा है हड्डियों के डॉक्टर वीके सिंह का। यूपी में ये हाल तब है, जब कानपुर में हेयर ट्रांसप्लांट के बाद 2 लोगों की मौत हो चुकी है। दैनिक भास्कर ने कानपुर में एक महीने तक 10 क्लिनिक और अस्पतालों की सर्चिंग की। इनमें सामने आया कि डेंटिस्ट, हड्डियों के डॉक्टर और ब्यूटीपार्लर चलाने वाले कस्टमर फंसा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर