यूपी की जिला संभल पुलिस ने 8 अगस्त को नकली देसी घी बनाने और बेचने वाला गैंग पकड़ा। ये गैंग 7 नामचीन कंपनियों के नकली रैपर में नकली देसी घी भरकर पश्चिमी यूपी और दिल्ली-एनसीआर में बेच रहा था। हर महीने 1500 लीटर नकली घी की सप्लाई थी। करीब 5 साल से गैंग चल रहा था। ऐसे में अब तक 90 हजार लीटर से ज्यादा नकली घी लोग खा चुके हैं। पुलिस इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि नकली घी 170 रुपए किलो में तैयार होकर मार्केट में 650 रुपए या इससे ज्यादा में बिकता है। मात्र 5 ML एसेंस मिलाने भर से ही 15 लीटर नकली घी तैयार हो जाता है। पुलिस को अभी तक की इन्वेस्टिगेशन में वेस्ट यूपी के करीब 25 दुकानदारों के नाम पता चले हैं, जो इस गैंग से नकली घी खरीद रहे थे। अब इन दुकानदारों के नीचे की चेन पता की जा रही है। ‘दैनिक भास्कर’ ने नकली घी बनाने के रैकेट की पड़ताल की। यह कैसे बनता है? सामान कहां से लाते हैं? कहां सप्लाई करते हैं? आरोपियों की प्रोफाइल क्या है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट... मामला क्या था, सबसे पहले ये पढ़िए नकली घी के साथ 5 गिरफ्तार, इनमें 2 ड्राइवर हैं
संभल पुलिस की अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) अनुकृति शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया- हमारे पास इन्फॉर्मेशन थी कि संभल में नकली देसी घी सप्लाई होता है। हमने अपने मुखबिर लगाए तो इन्फार्मेशन सही पाई गई। सोर्सेज से पता चला कि नकली घी से भरी गाड़ी संभल में कब आएगी? 8 अगस्त को संभल जिले के धनारी इलाके में ग्राम खजरा मोड़ पर एक छोटा हाथी (वाहन) को रोका गया। इसमें नकली देसी घी भरा था। यहां से इन्वेस्टिगेशन आगे बढ़ी। पुलिस पहले मेरठ, फिर बड़ौत (बागपत) में नकली घी बनाने वाले ठिकानों तक पहुंच गई। करीब 2 दिन चली इस कार्रवाई में कुल 5 आरोपी गिरफ्तार हुए। इनमें 2 ड्राइवर और तीन घी निर्माता-विक्रेता थे। बड़ौत में किराए के 3 घरों में चल रही फैक्ट्री
अपनी पड़ताल में सबसे पहले हम बागपत के बड़ौत कस्बे में प्रवीण जैन के ठिकानों पर पहुंचे। गुराना रोड पर 3 घर किराए पर लिए थे। इन घरों में नकली घी बनाने का काम होता था। फिलहाल इन घरों पर ताला लटका है। पता चला कि संभल पुलिस कई दिन पहले यहां आई थी और सारा सामान जब्त कर साथ ले गई। आसपास के कई लोगों ने ऑफ कैमरा बताया कि इन घरों में कई साल से देसी घी बनता था। हमें मालूम नहीं था कि ये घी नकली है। प्रवीण जैन पुराना घी कारोबारी है। इसलिए लोग यही सोचते थे कि असली माल बनकर बिक रहा होगा। इस मामले में मेरठ के जो पिता-पुत्र गिरफ्तार हुए हैं, उनमें आशु जैन का बड़ा भाई भी पहले प्रवीण जैन के साथ ही नकली घी बनाने के काम में लगा था। कोरोना के दौर में उसकी मौत हो गई। इसके बाद उसका छोटा भाई आशु जैन और पिता सुदेश जैन, प्रवीण से जुड़ गए। ये तीनों लोग न केवल घी बनाने के काम में पार्टनर थे, बल्कि बिक्री से लेकर सारी चीजों में इनकी बराबर की पार्टनरशिप थी। आरोपियों ने साल-2021 से ये काम करने की बात कबूली है। लेकिन, जिस तरह से आशु जैन के भाई की कोरोना से पहले भी इस काम में संलिप्त होने की बात सामने आई है। उससे आशंका है कि नकली घी बनाने का धंधा कोरोना के वक्त से भी यानी करीब 5 साल पुराना है। साउथ इंडिया की कंपनी ऑनलाइन बेच रही एसेंस
देसी घी का एसेंस कहां से आता है? इस पर सुपरविजन ऑफिसर ASP अनुकृति शर्मा बताती हैं- हमने मास्टरमाइंड प्रवीण जैन के मोबाइल की जांच की। इससे पता चला कि वो ऑनलाइन ऑर्डर करके एसेंस मंगवाता है। एसेंस के जो डिब्बे हमें मिले, उन पर कंपनी का मैन्युफैक्चरिंग एड्रेस साउथ इंडिया का लिखा हुआ है। ये एसेंस इन्हें 1000 रुपए प्रति लीटर मिलता था। हालांकि पुलिस जांच में पता चला कि जो कंपनी एसेंस बेच रही है, वो FSA से सर्टिफाइड है। ऐसे में हम मान रहे हैं कि एसेंस किसी और चीज में इस्तेमाल करने के लिए सर्टिफाइड होगा। लेकिन, ये गैंग उसका प्रयोग उसके मूल काम की बजाय दूसरे काम (नकली घी बनाने) में कर रहा था। आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि वो सिर्फ डालडा और रिफाइंड में ये एसेंस मिलाकर नकली देसी घी तैयार करते थे। लेकिन, पुलिस को डाउट है कि कुछ केमिकल भी होंगे जो नकली घी में मिलाए जाते होंगे। हालांकि पुलिस को किसी भी गोदाम से ये केमिकल नहीं मिले। ऐसे में पुलिस ने इस पूरे मिश्रण की लैब में जांच कराने का फैसला लिया है। फूड सेफ्टी विभाग ने नकली घी के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं, ताकि ये पता चल सके कि उसमें क्या-क्या मिला था। 15 लीटर डालडा-रिफाइंड के मिश्रण में ये एसेंस सिर्फ 5 एमएल मिलाया जाता है। उससे पूरे मिश्रण की खुशबू एकदम देसी घी जैसी हो जाती है। 'घी एसेंस' से मतलब देसी घी जैसा स्वाद और खुशबू देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्रोडक्ट है। कई बोरे भरकर रैपर मिले
ये नकली देसी घी पराग, मधुसूदन, मदर डेयरी, अमूल, पारस, काऊ डेयरी, पतंजलि जैसी कई नामचीन कंपनियों के रैपर में भरकर बेचा जा रहा था। मधुसूदन का नाम छपी हुई 10-10 लीटर वाली प्लास्टिक की कैन भी मिली हैं। इसके अलावा टिन भी मिले हैं। कुल रैपरों की संख्या हजारों में हैं। रैपरों से भरे कई बोरे पुलिस ने जब्त किए हैं। हालांकि इनकी सटीक संख्या नहीं पता चल पाई है। ये सभी रैपर दिल्ली में छपते हैं। अमूल : असली-नकली घी में सिर्फ ये अंतर
असली-नकली देसी घी के डिब्बों में क्या फर्क था? इस सवाल के जवाब में संभल के SP कृष्ण बिश्नोई बताते हैं- हमने अभी सिर्फ अमूल कंपनी के रैपर की जांच की है। जो असली पैकेट है, वो साइड से खुलता है। जबकि, नकली पैकेट ऊपर से खुलता है। इसके अलावा नकली पैकेट के ऊपर हरे रंग की एक पट्टी बनी है, जो असली पैकेट में नहीं होती। बाकी कंपनियों के असली-नकली की हम पहचान नहीं कर पाए। सभी देसी घी कंपनियों को सूचना भेज दी गई है। उन्हें भी अपने स्तर से जांच करनी चाहिए। इन्वेस्टिगेशन में और क्या-क्या पता चला? तिरुपति बालाजी के मिलावटी प्रसाद में भी आया था बड़ौत का नाम
पहली बार ऐसा नहीं है, जब बागपत के बड़ौत कस्बे का नाम नकली देसी घी बनाने में सामने आया हो। साल-2024 में आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में जब प्रसाद में मिलावट की जांच शुरू हुई, तब एक टीम जांच करने बड़ौत आई थी। यहां एक ट्रक ड्राइवर से पूछताछ की गई थी। तब ये बात सामने आई थी कि बड़ौत से देसी घी और रिफाइंड सप्लाई होता था, जिससे प्रसाद के लड्डू तैयार किए जाते थे। ---------------------------- ये खबर भी पढ़ें... यूपी में महिला जैसे स्तन वाले पुरुष करा रहे सर्जरी, पुलिस-सेना की नौकरी का सपना टूट रहा यूपी के युवाओं का पुलिस, सेना, एयरफोर्स में नौकरी का सपना टूट रहा है। एक ऐसी बीमारी उनके आड़े आ रही है, जिससे वो फिजिकल टेस्ट में फेल हो रहे हैं। ये बीमारी है स्तन ग्रंथि बढ़ने की। ऐसे युवाओं को इसकी वजह से रिजेक्ट कर दिया जाता है। लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में हर सप्ताह एक-दो केस ऐसे आ रहे हैं, जिनमें युवा इससे निजात पाने के लिए सर्जरी करा रहे हैं। क्या सचमुच ये बीमारी है? इसे मेडिकल की भाषा में क्या कहा जाता है? किस उम्र तक के मरीजों में ये पाई जाती है? इसका इलाज क्या है। पढ़िए पूरी खबर...