चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था रूल ऑफ लॉ यानी (कानून के शासन) से चलती है, इसमें बुलडोजर एक्शन की जगह नहीं है। CJI मॉरीशस में आयोजित सर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल के फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया था कि किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर चलाना कानून की प्रक्रिया को तोड़ना है। CJI ने कहा- सरकार एक साथ जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती। बुलडोजर शासन संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण के अधिकार ) का उल्लंघन है। लेक्चर के दौरान मॉरीशस के राष्ट्रपति धरमबीर गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और मुख्य न्यायाधीश रेहाना मंगली गुलबुल भी मौजूद थे। तीन तलाक जैसे अन्यायपूर्ण कानून खत्म किए CJI ने तीन तलाक खत्म करने, व्यभिचार कानून को निरस्त करने, चुनावी बॉन्ड स्कीम और निजता को मौलिक अधिकार मानने जैसे फैसलों का भी जिक्र किया। गवई ने कहा कि इन सभी फैसलों ने दिखाया कि अदालत ने रूल ऑफ लॉ को एक ठोस सिद्धांत बनाया है, जिससे मनमाने और अन्यायपूर्ण कानून खत्म किए गए। भारत में रूल ऑफ लॉ नैतिक और सामाजिक ढांचा CJI गवई ने कहा कि भारत में रूल ऑफ लॉ केवल नियमों का सेट नहीं है, बल्कि यह नैतिक और सामाजिक ढांचा है, जो समानता, गरिमा और सुशासन सुनिश्चित करता है। उन्होंने महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान का हवाला देते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण बताता है कि लोकतंत्र में कानून का राज ही समाज को न्याय और जवाबदेही की ओर ले जाता है। 24 सितंबर- बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आदेश देना संतोषजनक इससे पहले CJI गवई ने 24 सितंबर को कहा था कि बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आदेश देने पर उन्हें बेहद संतुष्टि मिली थी। इस फैसले में मानवीय पहलू भी जुड़ा था। किसी परिवार को सिर्फ इसलिए परेशान नहीं किया सकता कि उस परिवार का एक सदस्य अपराधी है। गवई ने कहा, बेंच में मेरे साथ जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल थे। हालांकि ज्यादातर श्रेय मुझे दिया गया है, लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इस फैसले को लिखने का क्रेडिट जस्टिस विश्वनाथन को भी जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में क्या आदेश दिया था... सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। बेंच ने ये भी कहा था कि 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा। अदालत ने 15 गाइडलाइंस भी दीं थीं। CJI गवई के पिछले 4 बड़े बयान 16 सितंबरः जाओ, भगवान से ही कुछ करने को कहो CJI ने 16 सितंबर को खजुराहो के वामन (जावरी) मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बदलने को लेकर याचिकाकर्ता से कहा- जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो। हालांकि, 2 दिन बाद 18 सितंबर उन्होंने बयान पर सफाई दी और कहा कि मेरी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से दिखाया गया। पूरी खबर पढ़ें... 23 अगस्तः परीक्षा में नंबर-रैंक सफलता तय नहीं करते CJI बीआर गवई ने 23 अगस्त को कहा था कि परीक्षा में अंक और रैंक यह तय नहीं करते कि छात्र कितना सफल होगा। उसको सफलता मेहनत, लगन और समर्पण से मिलती है। जस्टिस गवई ने कहा- देश में कानूनी शिक्षा को मजबूत करना जरूरी है और यह सुधार केवल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) तक सीमित नहीं रहना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें... 9 अगस्तः सरकारी आवास समय पर खाली कर दूंगा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने गुरुवार को कहा- नवंबर में रिटायरमेंट से पहले उपयुक्त (सूटेबल) घर मिलना मुश्किल है, लेकिन मैं नियमों के तहत तय समयसीमा में अपना सरकारी आवास खाली कर दूंगा। CJI गवई ने ये बात जस्टिस सुधांशु धूलिया के विदाई कार्यक्रम में कही। पूरी खबर पढ़ें... 12 जूनः अधिकारों की रक्षा के लिए अदालतों की सक्रियता जरूरी CJI बीआर गवई ने 12 जून को कहा था कि संविधान और नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए न्यायिक सक्रियता जरूरी है। यह बनी रहेगी, लेकिन इसे न्यायिक आतंकवाद में नहीं बदला जा सकता। CJI ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को उनकी सीमाएं दी गई हैं। पूरी खबर पढ़ें... ---------------------- ये खबर भी पढ़ें... बुलडोजर एक्शन, SC बोला- रातों-रात घर नहीं गिरा सकते: यूपी सरकार को फटकार लगाई सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर यूपी सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा, 'यह मनमानी है। आप बुलडोजर लेकर रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते हैं। आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते। घर के सामान का क्या, उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।' पढ़ें पूरी खबर...