दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ की ओर से आयोजित विंटर योगा वर्कशॉप के दूसरे दिन विद्यार्थियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के नेतृत्व में योग और नाथपंथ विषय पर यह आयोजन सात दिनों के लिए किया गया है। योग की ट्रेनिंग डॉ. विनय कुमार मल्ल ने दिया। साथ ही ऑनलाइन व्याख्यान भी हुआ। सुबह 11 बजे ऑनलाइन माध्यम से ‘अद्वैत वेदांत और योग : आचार्य शंकर व महर्षि पतंजलि के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर वर्कशॉप आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत के साथ शोधपीठ के सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह ने किया। मन की शुद्धता से योग की शुरुआत होती
देवरिया के मदन मोहन मालवीय पी.जी. कॉलेज में दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निवास मिश्र कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने योग की चर्चा करते हुए कहा कि हमारा मन कैमरे की तरह काम करता है। मन की शुद्धता से योग की शुरुआत होती है। योग का अंतिम लक्ष्य समाधि उन्होंने कहा कि योग का अंतिम लक्ष्य समाधि है। समाधि में अद्वैत घटित होता है। योग की यात्रा द्वैत से की गई यात्रा है। लेकिन समाधि में जो घटित हुआ वह केवल अद्वैत है। इस ऑनलाइन व्याख्यान में कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार ने किया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, वरिष्ठ शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल और अन्य उपस्थित रहे। गया कॉलेज के डॉ. राजेश मिश्र ने प्रश्न भी पूछा जिसका वक्ता ने समुचित उत्तर दिया। विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के आचार्य सहित डॉ. मनोज कुमार यादव, डॉ . संदीप चौरसिया और अन्य जुड़े रहे।