I Love Mohammad का जवाब I Love Shiva:कानपुर में लोग बोले- पहले अल्लाह मोहम्मद लिखा जाता था; नई परंपरा नहीं पड़ने देंगे

Sep 25, 2025 - 06:00
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I Love Mohammad का जवाब I Love Shiva:कानपुर में लोग बोले- पहले अल्लाह मोहम्मद लिखा जाता था; नई परंपरा नहीं पड़ने देंगे
यूपी से लेकर देश के कई हिस्सों में ‘I Love Mohammad’ के बैनर और पोस्टर लेकर मुस्लिम सड़कों पर उतर रहे हैं। पुलिस से टकराव हो रहा है, FIR भी हो रही है। लेकिन प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं। अब हिंदू संगठन भी I Love Shiva के बैनर-पोस्टर लेकर प्रदर्शन करने लगे हैं। दैनिक भास्कर की टीम वहां पहुंची, जहां पहला विवाद हुआ था। उस पहले ‘I Love Mohammad’ लिखे पोस्टर को भी देखा, जिसकी वजह से इतने बड़े लेवल पर प्रदर्शन शुरू हुआ। दोनों पक्षों से बात की। पुलिस की वह FIR भी देखी, जिसके बाद मामला बढ़ा। पढ़िए आखिर वह FIR, जिससे विवाद की शुरुआत हुई। सिर्फ पोस्टर लगाने का मामला था या कुछ और? पहले कैसे आयोजन होता था? हिंदू-मुस्लिम इसे लेकर क्या कहते हैं? सबसे पहले उस पोस्टर की तस्वीर देखिए, जिसके बाद मुस्लिमों ने प्रदर्शन शुरू किया… पहली बार I Love Mohammad का पोस्टर लिखा गया कानपुर जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर रावतपुर इलाका है। इसी इलाके में सैय्यद नगर मोहल्ला है। आबादी 6-7 हजार के बीच है। हिंदू-मुस्लिम दोनों 50-50% रहते हैं। इसकी पहचान यहां के घरों के ऊपर लगे झंडों से हो जाती है। इस वक्त यहां पहले जैसी रौनक नहीं है। 4-5 सितंबर की घटना के बाद एक अजीब शांति है। यहां से उपजा मामला अब पूरे देश में पहुंच गया है। 5 सितंबर को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (बारावफात) था। 4 सितंबर से ही सैय्यद नगर में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों और आसपास के इलाकों को झालर से सजा रहे थे। यहीं एक जफर गली है, जिसे हर बार सजाया जाता है। इसी के ठीक सामने एक नाला है। जफर गली के सामने गेट बनाया गया। सामने लकड़ी के फट्‌टों के जरिए नाले के आगे एक दीवार बनाई। उस पर I Love Muhammad का एक पोस्टर और इलेक्ट्रिक बोर्ड लगा दिया। इसके पहले कभी भी इस तरह का बोर्ड नहीं लगता था। ऐसा पोस्टर पहली बार लगा, इसलिए हिंदू पक्ष के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई। पहले तो उनकी बातों को नहीं सुना गया। लेकिन, कुछ ही देर में कई लोग इकट्ठा होकर उसी पोस्टर के ठीक सामने धरने पर बैठ गए। मौके पर मुस्लिम पक्ष के भी काफी लोग जुट गए। तनाव की स्थिति बनी, तो पुलिस के बड़े अफसर मौके पर पहुंचे और समझौते में जुट गए। हिंदू पक्ष का साफ कहना था कि जब तक यह पोस्टर नहीं हटेगा, धरना खत्म नहीं होगा। वहीं, मुस्लिम पक्ष किसी भी सूरत में पोस्टर हटाने के पक्ष में नहीं था। हालांकि, बातचीत के बाद स्थिति बदली और पोस्टर हटा दिया गया। हम FIR की तैयारी में थे, लेकिन हमारे ही खिलाफ हो गया जहां पोस्टर लगाया गया था, वहीं सामने एनके मेडिकल स्टोर है। इसे जीशान चलाते हैं। वह उस घटना को लेकर कहते हैं- कोई मामला ही नहीं था। एक बोर्ड लगा था। उसे लेकर मोहल्ले के ही एक व्यक्ति मोहित वाजपेयी को आपत्ति थी। पुलिस ने उन्हें समझाया भी, लेकिन वह जिद पर अड़ गए कि इसे हटाना है तो हटाना है। मौलाना भी आ गए और बातचीत की। विवाद आगे न बढ़े, इसलिए सभी ने बोर्ड हटाने पर सहमति दे दी और उसे हटा भी दिया गया। जीशान कहते हैं- मुस्लिम पक्ष मोहित के खिलाफ केस करने के बारे में सोच रहा था, क्योंकि इनकी वजह से विवाद हो रहा था। फिर सभी ने बैठकर सोचा कि मोहल्ले की बात है, छोड़ देना चाहिए। लेकिन, 11 सितंबर को पता चला कि यहीं के 8 लोगों के खिलाफ मुकदमा लिख दिया गया। अब समझ नहीं आ रहा कि जब सारा मामला खत्म हो गया, तो फिर मुकदमा क्यों लिखा गया? धार्मिक पोस्टर को फाड़ने का केस हुआ 5 सितंबर को मुस्लिम पक्ष के लोगों ने बारावफात का जुलूस निकाला। इसमें 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए। पुलिस भी इस जुलूस में शामिल थी। सब कुछ आसानी से पूरा हो गया। तभी 10 सितंबर को रावतपुर थाने में तैनात दरोगा पंकज मिश्रा ने 8 नामजद और 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया। पंकज ने अपनी तहरीर में कहा- 5 सितंबर को मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदू बस्ती से जुलूस निकाल रहे थे। तभी कुछ अज्ञात लोगों ने डंडों के जरिए धार्मिक पोस्टर को फाड़ दिया। मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने स्थिति को सामान्य कराकर जुलूस को आगे बढ़वा दिया। इसके अलावा रावतपुर में कुन्नू कबाड़ी के यहां भी जानबूझकर I Love Muhammad का बैनर लगाकर नई परंपरा शुरू करने की कोशिश की गई है। इस कारण सांप्रदायिक टकराव और तनाव की स्थिति पैदा हुई। दरोगा ने अपनी तहरीर में कहा- 10 सितंबर को इन दोनों घटनाओं का सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग मिली। जिससे साफ हो रहा कि घटना वाले दिन जुलूस में शामिल मुस्लिम समुदाय के लोग जानबूझकर सांप्रदायिक माहौल खराब करने को लेकर ऐसे कृत्य किए गए। इससे क्षेत्र में अराजकता फैल सके और सांप्रदायिक विवाद उत्पन्न हो सके। इसलिए वीडियो और सीसीटीवी को आधार बनाकर कार्रवाई की जाए। इस केस में शराफत हुसैन, मोहम्मद सिराज, शबनूर आलम, फजलू रहमान, इकराम, इकबाल, बंटी, बाबू अली के खिलाफ नामजद और 10-15 अज्ञात के खिलाफ केस लिखा गया। जब कुछ किया नहीं, तो केस क्यों हुआ जिनके खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है, उनमें से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस गिरफ्तार करने आई भी नहीं। हमें यहीं इकराम मिले। उनके खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। वह ऑफ कैमरा कहते हैं- हमारा तो कोई दोष ही नहीं। हमने कुछ भी ऐसा नहीं किया, जो कानून के दायरे से बाहर हो। जब विवाद हुआ और पुलिस आई, तो सबने उनकी बात मानी और विवाद बढ़ने से रोका गया। लेकिन अब हमारे ही खिलाफ FIR हो गई। जहां पोस्टर लगा था, वहीं से 100 मीटर की दूरी पर मो. सिराज का घर है। इन्हें भी आरोपी बनाया गया है। घर पर सिराज नहीं मिले, उनकी मां रुखसाना मिलीं। वह पूरे मामले पर अपनी बात रखती हैं। कहती हैं- यह सच है कि पहले कभी आई लव मोहम्मद नहीं लिखा जाता था। पहले अल्लाह मोहम्मद लिखा जाता था। वह जफर वाली गली पर लगता था। लेकिन अबकी बार गली के सामने जो नाला है, उसी के पहले लकड़ी की दीवार पर आई लव मोहम्मद का बैनर लगा दिया गया। रुखसाना कहती हैं- यह इसलिए किया गया कि सामने से उस पर रोशनी जाए तो अच्छा दिखे। किसी को नहीं पता था कि इसे लगाने से विवाद होगा। रात में हिंदू-मुस्लिम खूब इकट्ठा हो गए। इसके बाद उसे उतार दिया गया। 10 सितंबर को हमारे बेटे के खिलाफ भी केस हो गया। उस केस के बाद हम सब परेशान हैं। बताइए, जब हमारे बेटे ने कुछ किया ही नहीं तो फिर केस क्यों हुआ? हमारे बच्चे तो यहीं रात में चाय बांट रहे थे। सब भाई मिलकर ऐसा हमेशा करते हैं। अब तो त्योहार पर विवाद का ही डर रहता है मोहल्ले के ही आशिक अली कहते हैं- यहां के लोग अब खुलकर त्योहार नहीं मना पा रहे। उनके मन में डर रहता है कि कब माहौल खराब हो जाए। यहां पहले भी माहौल खराब हो चुका है। यहां हिंदू-मुस्लिम वाली स्थिति बनी थी। अब फिर से 8 लोगों पर केस हो गया। उन्हें तो इस केस से छुटकारा चाहिए, वह अपनी रोजी-रोटी देखेगा कि केस लड़ेगा। केस के चक्कर में रहेगा, तो वह कुछ भी नहीं कर पाएगा। यहां की स्थिति और पुराने घटनाक्रम को समझने के लिए हम मदन बिहारी के पास पहुंचे। मदन की बोर्ड विवाद वाली जगह पर स्टेशनरी की दुकान है। वह कहते हैं- यहां जुलूस को लेकर स्थिति खराब होती है। पहले मुस्लिम वर्ग के लोग एक गली से जुलूस निकालना चाहते थे। उस गली में हिंदुओं के घर हैं और मंदिर भी है। 2019 में विवाद हो गया था। इसके बाद से ही कभी उस गली से परमिशन नहीं दी जाती। अब रामलला स्कूल से जुलूस चलता है और शिवकुमारी स्कूल के पास आकर यहीं से लौट जाता है। मतलब जिधर से आता है, उसी तरफ से लौटता भी है। विवाद की स्थिति नहीं बनती। स्थानीय डॉक्टर कलामुद्दीन खान कहते हैं- यहां लोगों के बीच तालमेल की कमी है। कुछ लोग शरारत करते हैं और फिर दोनों तरफ से हंगामा हो जाता है। पुलिस लोगों को समझाती है। हिंदू-मुस्लिम दोनों ही पक्ष यहां हमेशा से अपना त्योहार ठीक ढंग से मनाते रहे हैं। आगे भी इसी तरह से चलता रहेगा। I Love Mohammad के सहारे नई परंपरा शुरू करना चाहते थे हमने इस पूरे मामले को विरोध के जरिए चर्चा में लाने वाले मोहित वाजपेयी से बात की। वह कहते हैं- हमारा विरोध I Love Mohammad के स्लोगन को लेकर नहीं है। हमारा विरोध इस नई परंपरा को लेकर है, जो मुस्लिम वर्ग के लोग यहां डालना चाहते हैं। पहले उस जगह पर कभी भी ऐसा नहीं होता था। लेकिन, इस बार साइन बोर्ड के साथ वहां मेज भी डाली गई थी, इसलिए हमने विरोध शुरू किया। मोहल्ले के ही और भी तमाम लोग हमारे साथ धरनास्थल पर बैठे थे। सभी ने विरोध किया, जिसके बाद ही वहां से वह बोर्ड हटाया गया। मोहित कहते हैं- जिन लोगों पर मुकदमा लिखा गया है, उन्हीं लोगों के खिलाफ कल्याणपुर थाने में पहले भी मुकदमा लिखा गया था। यही लोग इस बार सैय्यदनगर में बारावफात के आयोजक थे। कानून अपने हिसाब से काम कर रहा है। योगीजी ने साफ कहा है कि कहीं भी नई परंपरा की शुरुआत नहीं होने दी जाएगी। विवाद के बाद केस खत्म हो सकता है कानपुर से निकले इस मामले की चिंगारी पड़ोसी जिलों उन्नाव, बरेली, लखनऊ, गोंडा, कन्नौज, बागपत, बरेली से होते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच गई। सोशल मीडिया पर आई लव मोहम्मद हैशटैग का प्रयोग होने लगा। कानपुर में सपा-कांग्रेस के नेता लगातार प्रशासन को ज्ञापन दे रहे हैं। अब स्थिति यह हो गई है कि कानपुर पुलिस इस मामले को लेकर डिफेंसिव मोड में आ गई है। कोई भी पुलिस अधिकारी इस मामले पर बात करने को तैयार नहीं। चर्चा यह भी है कि जल्द ही इस FIR को खारिज कर दिया जाएगा। ........................ ये खबर भी पढ़ें... मंत्रियों-विधायकों को मनाएगी, बेटियों को स्कूटी देगी, किसानों को बड़ी सौगात मिलेगी यूपी में योगी सरकार 2.0 के साढ़े 3 साल का कार्यकाल कल पूरा हो रहा है। अब चुनाव होने में करीब 16 महीने का समय बाकी है। ऐसे में योगी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार भाजपा सरकार बनाकर खुद के नाम एक बड़ा रिकार्ड दर्ज कराना चाहेंगे। दरअसल, भाजपा ने साल-2017 में योगी आदित्यनाथ को सरकार की कमान सौंपी थी। 2022 में फिर प्रदेश की जनता और भाजपा नेतृत्व ने योगी पर भरोसा जताया। अब योगी के सामने संगठन और जनता की कसौटी पर खरा उतरते हुए तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाना चुनौती है। इस चुनौती को पूरा करने के लिए सरकार अब मिशन इलेक्शन शुरू करेगी। पढिए पूरी खबर...

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