राजकीय ITI कल्याणपुर मैं अगर आप जा रहे हैं तो बरसात के दोनों में वहां मत जाए नहीं तो आपको भीषण दलदल वाले रास्ते से होकर गुजरना पड़ेगा हालांकि वहां के स्टूडेंट और प्रोफेसर ऐसे गंदे रास्ते का सामना पिछले 11 वर्षों से कर रहे हैं लेकिन आज तक किसी माननीय ने उसे और ज्ञान तक नहीं दिया है। संस्थान के प्रोफेसर ने इस पिछले 11 साल में न जाने कितने प्रार्थना पत्र माननीय को दिए हैं, लेकिन आज तक यहां की सुध लेने वाला कोई नहीं आया है। बरसात में यहां के हालात बद से बदत्तर एक ओर जहां प्रदेश सरकार तकनीकी शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाने और आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), कल्याणपुर की स्थिति इन दावों की पोल खोल रही है। जीटी रोड से महज 800 मीटर अंदर स्थित इस संस्थान तक जाने के लिए आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई है। वहां तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता कच्ची चक रोड है, जो खासकर बरसात के मौसम में कीचड़ में तब्दील हो जाती है। हाथों में चप्पल लेकर आना पड़ता है छात्रों का कहना है कि हर साल जुलाई से सितंबर तक हालात बदतर हो जाते हैं। 'कभी जूते-चप्पल हाथ में लेकर जाना पड़ता है, कभी पैरों में कीचड़ और कपड़ों में छींटे लेकर क्लास में बैठना पड़ता है'। शिक्षकों और कर्मचारियों को भी संस्थान तक पैदल जाना पड़ता है, क्योंकि दोपहिया वाहन भी कीचड़ में फंस जाते हैं। कई बार कीचड़ और फिसलन के चलते दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। 2014 से दे रहे हैं प्रार्थना पत्र स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने 2014 से अब तक कई बार जिला प्रशासन, लोक निर्माण विभाग और जन प्रतिनिधियों से गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक किसी स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। शिक्षक नेता अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों ने कई बार सड़क निर्माण की मांग को लेकर जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों से संपर्क किया, लेकिन आज तक कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि एक राजकीय संस्थान, जहां सैकड़ों छात्र तकनीकी शिक्षा ले रहे हैं, वह अब तक बुनियादी सुविधा के लिए तरस रहा है।