लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की महत्वाकांक्षी आवासीय योजना प्रबंध नगर एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। किसानों ने अब इस योजना के पर्यावरणीय मूल्यांकन (Environment Clearance) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। किसानों का आरोप है कि न तो उन्हें अब तक मुआवज़ा मिला है और न ही कोई जनसुनवाई कराई गई। वहीं, प्राधिकरण पर्यावरणीय मंजूरी के लिए तथ्यों को छिपा रहा है। ग्रीन बेल्ट की ज़मीन पर बनाई योजना
प्रबंध नगर योजना के लिए वर्ष 2004 में प्लान तैयार किया गया था, जिसमें हरदोई और सीतापुर रोड के बीच स्थित अल्लू नगर, डिगुरिया और घैला गांव की लगभग 1400 एकड़ कृषि भूमि चिह्नित की गई थी। यह भूमि वर्ष 2007-08 में अधिगृहीत की गई, जबकि अवार्ड 2010-11 में घोषित किया गया। किसानों का कहना है कि अधिग्रहण के समय यह इलाका मास्टर प्लान 2021 में ग्रीन बेल्ट घोषित था। मुआवज़ा नहीं, खेती जारी
किसान नेता अमित का दावा है कि LDA ने 2009 में ही 300 करोड़ रुपए मुआवज़ा के लिए जिला प्रशासन को जमा कर दिए थे, लेकिन उन्हें आज तक एक पैसा नहीं मिला। वे अभी भी उसी ज़मीन पर खेती कर रहे हैं। इसके बावजूद, बिना मुआवज़ा दिए और सुनवाई किए प्राधिकरण योजना को जबरन लागू करने की कोशिश कर रहा है। 20,000 पेड़ों की कटाई की तैयारी, लेकिन अनुमति नहीं
इस योजना के तहत 20,000 पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है, लेकिन इसके लिए न तो वन विभाग से अनुमति ली गई है और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कोई सहमति मिली है। कानूनी पेंच में उलझी योजना
इस परियोजना से जुड़ी लगभग 40 याचिकाएं इस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में लंबित हैं। वहीं, पुनर्वास प्राधिकरण में 30 से ज्यादा रेफरेंस केस विचाराधीन हैं। Latafat Hussain बनाम उत्तर प्रदेश सरकार नामक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने पहले ही स्टे ऑर्डर जारी कर रखा है। इसके अलावा, किसान एकता सेवा समिति की ओर से दायर रिट याचिका (Writ C-6208/2022) में राज्य पर्यावरण आकलन समिति को भी पार्टी बनाया गया है। पर्यावरणीय मंजूरी पर भी लगी रोक
किसानों ने पर्यावरण विभाग को सौंपी आपत्ति में कहा है कि हमारी ज़मीन छीनी जा रही है, मुआवज़ा नहीं दिया गया, पेड़ काटने की तैयारी है और पर्यावरणीय मंजूरी भी बिना जनसुनवाई के दी जा रही है – यह पूरी तरह से अन्याय है। किसानों की आपत्ति के बाद फिलहाल विभाग ने पर्यावरणीय मंजूरी देने पर रोक लगा दी है। किसानों की प्रमुख मांग है कि: