लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए दुकान सील करना भारी पड़ गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस कार्रवाई को संविधान के अनुच्छेद 300A का उल्लंघन मानते हुए दुकान मालिक को उसका तत्काल कब्जा लौटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने LDA पर 50,000 का हर्जाना भी लगाया है। क्या है मामला? याचिकाकर्ता मोहम्मद जाइमुल इस्लाम ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने लखनऊ के सहारा बाजार, विभूति खंड, गोमती नगर स्थित दुकान संख्या 112(a), अपर ग्राउंड फ्लोर को 22 नवंबर 2000 को सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड से पंजीकृत बिक्री विलेख के माध्यम से खरीदा था। यह दुकान सहारा को लखनऊ विकास प्राधिकरण से 30 साल की लीज पर मिली थी, जिसमें शर्त थी कि वह दुकान किसी को ट्रांसफर कर सकता है, लेकिन ट्रांसफर चार्ज जमा करना होगा। याचिकाकर्ता ने सभी आवश्यक चार्ज जमा कर दिए थे और तब से वह दुकान का वैध मालिक है। LDA ने क्या किया? LDA ने 3 मई 2025 को सहारा इंडिया की लीज समाप्त करने का आदेश पारित किया और 18 जून को सार्वजनिक नोटिस जारी कर दुकानों को खाली करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता को न तो कोई नोटिस मिला, न सुनवाई का मौका, और उसकी दुकान को सीधे सील कर दिया गया। कोर्ट की सख्त टिप्पणी न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास वैध दस्तावेज हैं और उसे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के दुकान से बेदखल करना नियमों और संविधान दोनों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा, LDA ने कानून को ताक पर रखकर दुकान सील की, जो संविधान के अनुच्छेद 300A के खिलाफ है। यह एक लोकतांत्रिक और कानून-व्यवस्था से संचालित समाज में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। LDA पर 50 हजार जुर्माना कोर्ट ने LDA को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को उसकी दुकान का तत्काल कब्जा लौटाए और ₹50,000 हर्जाना भी अदा करे। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर LDA को भविष्य में कोई कार्रवाई करनी है तो वह कानून के तहत उचित प्रक्रिया अपनाकर कर सकता है।