NRI दंपती की जमीन पर कब्जा कर बेचा:विदेश से लगाई गुहार, आरोपियों ने तीन प्लाट बेचे, मुकदमा दर्ज

Sep 8, 2025 - 09:00
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NRI दंपती की जमीन पर कब्जा कर बेचा:विदेश से लगाई गुहार, आरोपियों ने तीन प्लाट बेचे, मुकदमा दर्ज
लखनऊ में एक एनआरआई दंपती की ज़मीन पर कब्ज़ा और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए इंदिरा नगर थाने मुकदमा दर्ज कराया है। अमेरिका में रहने वाले गिरीश पाठक और उनकी पत्नी स्मिता पाठक के अधिवक्ता अनुपम श्रीवास्तव ने इस संबंध में डीसीपी (पूर्वी) को एक प्रार्थना पत्र देकर कई व्यक्तियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सहकारी आवास समिति से लिए थे प्लाट वर्ष 1993 में बसंत विहार सहकारी आवास समिति लि. लखनऊ से गिरीश पाठक और उनकी पत्नी स्मिता पाठक ने कुल 8000 वर्गफुट भूमि के छह जमीन खरीदी थी, जो खरगपुर फरीदीनगर, इंदिरा नगर क्षेत्र में हैं। इनमें से प्लॉट संख्या 4, 5 और 6 गिरीश पाठक के नाम, जबकि प्लॉट संख्या 8, 9 और 10 स्मिता पाठक के नाम पर दर्ज हैं। 2021 के बाद कब्जे की साजिश का आरोप प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि 2021 तक इन भूखंडों की देखरेख गिरीश पाठक के रिश्तेदार सतीश पाठक द्वारा की जाती रही, लेकिन उनके महाराष्ट्र स्थानांतरण के बाद यह ज़िम्मेदारी छूट गई। इसी दौरान, रामप्रकाश यादव और सुभाष यादव नामक दो स्थानीय व्यक्तियों पर आरोप है कि उन्होंने बिल्डर आयुष इंटरप्राइजेज के मालिक विपिन गर्ग, तथा गुजरात निवासी अपूर्व कोठारी के साथ मिलकर प्लॉट संख्या 4, 5, और 6 में से 1000 वर्गफुट के तीन भाग कर अवैध रूप से निर्माण कराया और उन्हें तीन अलग-अलग लोगों मोहित सेठ (लखनऊ), अनामिका खरे (वाराणसी), और राजेश श्रीवास्तव (गोंडा) को बेच दिया। फर्जी दस्तावेज़ और एडवोकेट के नाम का दुरुपयोग NRI दंपती का आरोप लगाया कि स्मिता पाठक के प्लॉट पर उनका नाम मिटाकर सुभाष यादव ने अपना नाम अंकित कर दिया, और नीचे "एडवोकेट" लिखकर फर्जी पहचान दर्शाने की कोशिश की, जबकि वह स्वयं वकील नहीं हैं। यह भी आरोप है कि ये लोग जबरन गेट पर ताला लगाकर और बोर्ड लगाकर ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश करते हैं। सहकारी समिति के सचिव की संदिग्ध भूमिका बसंत विहार सहकारी आवास समिति के सचिव मानवेन्द्र सिंह पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने भूखंड की दोबारा बिक्री नहीं की है, यह स्वीकारते हुए भी, कार्रवाई में सहयोग नहीं कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि सचिव की निष्क्रियता से यह संदेह होता है कि वह भी कथित कब्जाधारियों के साथ मिलीभगत में हैं। एफआईआर दर्ज न होने पर डीसीपी से की गुहार प्रार्थी के अनुसार, इस संबंध में थाना इंदिरा नगर में दिनांक 23 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन न तो एफआईआर दर्ज की गई और न ही कोई औपचारिक प्रतिक्रिया दी गई। थाने के चक्कर काटने से परेशान होकर अब यह मामला डीसीपी पूर्वी लखनऊ के समक्ष लाया गया है।

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