अखिलेश दुबे के गैंग में मिस यूपी:BJP नेता को फंसाने वाली ने लड़की बोली- हर केस के 2 लाख रुपए मिलते थे

Aug 20, 2025 - 06:00
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अखिलेश दुबे के गैंग में मिस यूपी:BJP नेता को फंसाने वाली ने लड़की बोली- हर केस के 2 लाख रुपए मिलते थे
'अधिवक्ता टोनू ने रुपए का लालच देकर मुझे अखिलेश दुबे से मिलवाया। मैंने उसके कहने पर ही रवि सतीजा के खिलाफ रेप की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एक मुकदमे के बदले मुझे 50 हजार से 2 लाख रुपए तक मिलते थे। पुलिस कुछ नहीं करेगी, इसकी गारंटी देते थे। हमारी बस्ती की महिलाएं दुबे के साथ इस धंधे में लिप्त हैं। जब SIT ने जांच शुरू की तो टोनू ने बस्ती में रहने वाली 10 से अधिक महिलाओं को छत्तीसगढ़ भेज दिया। मेरी छोटी बहन भी किसी लड़के के साथ भाग निकली।' यह कबूलनामा उस लड़की का है, जिसने बर्रा थाने में भाजपा नेता रवि सतीजा पर झूठा रेप केस दर्ज कराया था। लड़की पुलिस कस्टडी में है। उससे पूछताछ की जा रही है। लड़की ने पुलिस को बताया- अखिलेश दुबे के पास लड़कियों को मैनेज करने से लेकर रंगदारी वसूलने का अलग-अलग सिंडीकेट है। उसके गैंग में मिस यूपी रही चुकी एक युवती भी शामिल है। इसके अलावा गैंग में 12 से अधिक लड़कियां हैं। ये सभी अखिलेश के कहने पर झूठे रेप केस दर्ज कराती हैं। उसका यह गैंग सिर्फ कानपुर तक ही नहीं सीमित है। दूसरे जिलों और प्रदेश के लोगों को भी फंसाने के लिए भी काम करता है। अखिलेश ने इसी गैंग के जरिए दहशत कायम की। लोगों को ब्लैकमेल कर अरबों का साम्राज्य खड़ा किया। इसमें पुलिस ने भी दुबे का हर कदम पर सहयोग दिया। अखिलेश दुबे का यह गैंग कैसे काम करता है? लड़कियां कहां की हैं? गैंग से कैसे जुड़ीं? पढ़िए दैनिक भास्कर की खास रिपोर्ट....। मिस यूपी ने भी दर्ज कराए झूठे मुकदमे, रुपए वसूले इस पूरे मामले को लेकर डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी से हमने बात की। उनके मुताबिक, पूछताछ में लड़की ने बताया- मैं उस्मानपुर कच्ची बस्ती के अस्थाई घर में रहती हूं। हम 2 बहनें हैं। घरों में झाड़ू-पोछा कर गुजर-बसर कर रहे थे। बस्ती में वकील टोनू यादव उर्फ शैलेंद्र का दफ्तर है। 6-7 पहले मैं उसके संपर्क में आई। टोनू मुझे अखिलेश दुबे के पास लेकर गया। अखिलेश दुबे ने मिस यूपी रह चुकी एक लड़की को भी रुपए और करियर बनाने का झांसा दिया। उसे अपने गैंग में शामिल किया। मिस यूपी ने अखिलेश के कहने पर 2 लोगों से शादी की। फिर झूठे मुकदमे में फंसाकर करोड़ों रुपए वसूले। इसके बाद मिस यूपी को नया नाम मिला- विषकन्या। मिस यूपी उर्फ विषकन्या अखिलेश की सबसे खास बन गई। वह उसके कैंपस में ही रहने लगी। मिस यूपी को अखिलेश के पार्टनर एक नेता ने संरक्षण दिया। उसे अपने संगठन में महिला विंग का जिलाध्यक्ष बना दिया। मिस यूपी ने सबसे पहले अपने दफ्तर के सामने स्थित होटल मालिक के खिलाफ झूठा रेप केस कराया। फिर 2.50 करोड़ रुपए वसूल लिए। इसके बाद अचानक यह विषकन्या लापता हो गई। अब होटल मालिक ने अखिलेश और मिस यूपी के खिलाफ किदवई नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस इस विषकन्या की तलाश में जुटी है। पढ़िए अखिलेश ने कैसे खड़ा किया का साम्राज्य जांच में सामने आया कि अखिलेश दुबे की फर्द लिखने (जमीन का रिकॉर्ड) के चलते पुलिस अफसरों से नजदीकी बढ़ी। इसके बाद दुबे के कॉन्स्टेबल और दरोगा-इंस्पेक्टर से लेकर एसपी तक से संबंध हो गए। पुलिस से नजदीकी होने का फायदा उठाकर अखिलेश दुबे ने लोगों को झूठे रेप केस में फंसाकर रंगदारी वसूली। कई लोगों की प्रॉपर्टी लिखवा ली। किसी का घर हड़प लिया। SIT के सामने ऐसे 54 केस सामने आए हैं। अखिलेश दुबे ने 1500 करोड़ से ज्यादा कीमत की जमीनों पर कब्जा किया। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया- अब तक की जांच में सामने आया कि दुबे के पास सबसे बड़ा हथियार झूठे रेप केस थे। बड़े लोगों को फंसाकर रंगदारी वसूलना और प्रॉपर्टी विवाद का सेटलमेंट करना था। इस तरह के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। सभी मामलों की जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि अब दुबे से डरने या दहशत की जरूरत नहीं। लोग खुलकर सामने आएंगे, तभी दुबे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकेगी। सभी पीड़ितों को सामने आकर दुबे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए। दुबे को किस मामले में जेल भेजा गया पुलिस कमिश्नर ने फर्जी रेप के मुकदमों को लेकर SIT बनाई थी। जांच के दौरान 54 ऐसे केस सामने आए, जो रेप के झूठे मामले थे। सिर्फ लोगों को फंसाने के लिए रेप की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इनमें 10 से 12 मामले तो सीधे अखिलेश दुबे से जुड़ रहे थे। इसी में SIT के पास पहुंचा एक मुकदमा BJP नेता रवि सतीजा का था। रवि सतीजा पर एक संपत्ति विवाद को लेकर दबाव बनाने के लिए अखिलेश दुबे ने झूठा रेप का मुकदमा दर्ज करा दिया। जेल भिजवाने की तैयारी थी। लेकिन, सतीजा ने दुबे के हाथ-पैर जोड़कर और रुपए देकर समझौता किया। जब SIT ने जांच शुरू की, तो रवि सतीजा ने पूरी सच्चाई बयां कर दी। बताया कि अखिलेश दुबे ने ब्लैकमेल करने और रंगदारी वसूलने के लिए उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। एक ऐसा वकील, जिसने कभी कोर्ट में नहीं की बहस अखिलेश दुबे एक ऐसा वकील है, जिसने कभी कोर्ट में खड़े होकर किसी केस में बहस नहीं की। उसके दरबार में खुद की कोर्ट लगती थी और दुबे ही फैसला सुनाता था। वह सिर्फ अपने दफ्तर में बैठकर पुलिस अफसरों के लिए उनकी जांचों की लिखा-पढ़ी करता था। बड़े-बड़े केस की लिखा-पढ़ी दुबे के दफ्तर में होती थी। इसी का फायदा उठाकर वह लोगों के नाम निकालने और जोड़ने का काम करता था। इसी डर की वजह से बीते 3 दशक से उसकी कानपुर में बादशाहत कायम थी। कोई उससे मोर्चा लेने की स्थिति में नहीं था। काले कारनामों को छिपाने के लिए शुरू किया न्यूज चैनल अखिलेश दुबे ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सबसे पहले एक न्यूज चैनल शुरू किया। इसके बाद वकीलों का सिंडीकेट बनाया। फिर इसमें कई पुलिस अफसरों को शामिल किया। कानपुर में स्कूल, गेस्ट हाउस, शॉपिंग मॉल और जमीनों के कारोबार में बड़े-बड़े बिल्डर उसके साथ जुड़ते चले गए। दुबे का सिंडीकेट इतना मजबूत था कि उसकी बिल्डिंग पर केडीए से लेकर कोई भी विभाग आपत्ति नहीं करता था। कमिश्नर का दफ्तर हो या डीएम ऑफिस, केडीए, नगर निगम और पुलिस महकमे से लेकर हर विभाग में उसका मजबूत सिंडीकेट फैला था। उसके एक आदेश पर बड़े से बड़ा काम हो जाता था। मेरठ से भागकर आया था कानपुर अखिलेश दुबे मूलरूप से कन्नौज के गुरसहायगंज का रहने वाला है। उसके पिता सेंट्रल एक्साइज में कॉन्स्टेबल थे। मेरठ में तैनात थे। वहां रहने के दौरान अखिलेश दुबे की सुनील भाटी गैंग से भिड़ंत हो गई। इसके बाद वह भागकर कानपुर आ गया। बात 1985 की है। अखिलेश दुबे किदवई नगर में किराए का कमरा लेकर रहने लगा। दीप सिनेमा के बाहर साइकिल स्टैंड चलाता था। इस दौरान मादक पदार्थ तस्कर मिश्री जायसवाल की पुड़िया (मादक पदार्थ) बेचने लगा। धीरे-धीरे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो गया। -------------------------------- ये खबर भी पढ़िए- वकील अखिलेश दुबे ने मेरी गंदी किताबें छपवाकर बंटवाईं, मंडप से उठवाने की कोशिश की मुझे शादी के मंडप से उठवाने का प्रयास किया। मेरे खिलाफ अश्लील किताबें छपवा कर बंटवा दीं। झूठी शिकायत की, मेरे होटल खरीदने के बाद वो रंगदारी के चक्कर में मेरे पीछे पड़ गया था। औरतें अमूमन क्या करती हैं या तो आत्महत्या कर लेती हैं या तो सरेंडर। दो ही विकल्प हैं, लेकिन जब से भाजपा सरकार आई है, तब से कानून व्यवस्था बेहतर हुई है। यह कहना है कानपुर की प्रज्ञा त्रिवेदी का। उन्होंने बताया कि एक होटल मालकिन होने के बाद भी आखिर अखिलेश दुबे ने किस कदर उनकी जिंदगी को नरक बना दिया था। पढ़ें पूरी खबर

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