आगरा की नव्या वशिष्ठ, जिन्होंने जीडी गोयनका स्कूल से अपनी स्कूली पढ़ाई की और वर्तमान में मोदी यूनिवर्सिटी, सीकर से मनोविज्ञान की पढ़ाई कर रही हैं, इन दिनों अपनी पहली अंग्रेज़ी किताब “उलझन – Knots of Life” को लेकर चर्चा में हैं। यह किताब खासतौर पर नवयुवतियों के जीवन, उनकी सोच, उनकी लाइफस्टाइल, उनके माता-पिता के साथ रिश्तों और उनके रोज़मर्रा के संघर्षों को आधार बनाकर लिखी गई है। किताब में कुल 7 अध्याय (चैप्टर्स) हैं और हर चैप्टर एक पूरी कहानी है। ये कहानियाँ भावनात्मक भी हैं और यथार्थ से जुड़ी भी — जो आज की युवा लड़कियों की ज़िंदगी की झलक देती हैं। नव्या बताती हैं कि उन्हें बचपन से कहानियाँ सुनने और लिखने का बहुत शौक था। स्कूल में भी उन्हें इस हुनर को निखारने का भरपूर मौका मिला। वो कहती हैं, "मेरे पापा खुद भी किताब लिख चुके हैं, शायद इसीलिए मुझे भी यह शौक लगा।" नव्या ने बताया कि इस किताब में उनका सबसे पसंदीदा चैप्टर 'पापा की परी' है, जो उनके दिल के सबसे करीब है। यह अध्याय एक बेटी और पिता के बीच के उस अनकहे रिश्ते को उजागर करता है, जो शब्दों से नहीं, भावनाओं से जुड़ा होता है। नव्या के मुताबिक, उलझन का मतलब है — मन के सवाल, भावनात्मक द्वंद, और वो पल जब इंसान खुद को समझ नहीं पाता। लेकिन हर उलझन के पीछे एक सीख छुपी होती है, जो हमें खुद को बेहतर समझने और मजबूत बनाने का मौका देती है। लड़कियों से जुड़ी हैं कहानियाँ इस किताब की हर कहानी में कहीं न कहीं लड़कियों की जिंदगी से जुड़ी सच्चाइयाँ, समाज की अपेक्षाएँ और व्यक्तिगत भावनाएँ झलकती हैं। यही वजह है कि बहुत-सी युवा महिलाएँ इस किताब से खुद को जोड़ पा रही हैं। वो मानती हैं कि आज का युवा सोशल मीडिया में उलझा हुआ है। लेकिन विचारों को किताबों में संजोना ही असली लेखन है, जो समय की कसौटी पर खरा उतरता है। नव्या फिलहाल मोदी यूनिवर्सिटी, सीकर से (मनोविज्ञान) में ग्रेजुएशन कर रही हैं। उनका मानसिक तनाव से जूझ रहे युवाओं की सहायता करना है। उन्होंने बताया कि किताब से मिलने वाली रॉयल्टी जरूरतमंद लड़कियों की शिक्षा और खुशी पर खर्च करेंगी। साथ ही नव्या ने बताया कि वह अपनी दूसरी किताब पर भी काम शुरू कर चुकी हैं। यह "उलझन" का सीधा सीक्वल नहीं होगी, लेकिन इसमें भी गहराई और भावनात्मक जुड़ाव होगा।