आगरा में चंबल में जल स्तर बढ़ने से प्रशासन ने स्टीमर संचालन बंद कर दिया है। जल स्तर 117 मीटर तक पहुंच गया है। तहसील बाह प्रशासन ने चंबल के आसपास के गांवों के लोगों को भी सतर्क कर दिया है। जल स्तर बढ़ने से मगरमच्छ और घड़ियालों के बच्चों को खतरा हो सकता है।
बरसात के दिनों में राजस्थान और मध्यप्रदेश में कोटा बैराज से पानी छोड़ा जाता है। कोटा बैराज से बीते शनिवार को पांच-पांच फीट के दो दरवाजे खोलकर 56 हजार क्यूसेक पानी नदी में छोड़ा गया था। कोटा बैराज से छोड़ा गया पानी तीसरे दिन पिनाहट घाट तक पहुंचता है। सोमवार शाम छह बजे नदी का जलस्तर 111 मीटर था जो जो मंगलवार रात 10 बजे 121 मीटर पहुंच गया। बुधवार को जल स्तर 117 मीटर देखा गया। चेतावनी का निशान 127 मीटर और खतरे का निशान 130 मीटर है। इसी वजह से स्टीमर का संचालन बंद कर दिया गया है। पिछले दिनों स्टीमर संचालन के दौरान एक स्टीमर का इंजन रेत में फंसने के कारण फेल हो गया था। इन गांवों में किया गया है लोगों को सतर्क
झरना पुरा, गुढ़ा, गौहरा, भटरपुरा, रानीपरा, डालपुरा, जेबरा, मऊ की मड़ैया, उमरैठापुरा, क्योरी बीच का पुरा, रैहा, बरैंडा सहित दो दर्जन गांव चंबल के पास हैं। यहां के लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है। यहां के ग्रामीण अपने स्तर से जलस्तर की निगरानी कर रहे हैं।
इससे पहले चंबल नदी का जलस्तर दो बार खतरे के निशान को पार कर चुका है। 2019 में 136.10 मीटर और वर्ष 2022 में 137.6 मीटर जल स्तर पहुंचा था। जल स्तर से बढ़ेगा खतरा
इस समय चंबल में हैचिंग के बाद मगरमच्छ और घड़ियालों के बच्चे पहुंचे हैं। हर साल जल स्तर बढ़ने के कारण बच्चे बह जाते हैं। ऐसे में बच्चे दूसरी जगह पहुंच जाते हैं। अगर जल स्तर बढ़ता है तो बड़े घड़ियाल और मगरमच्छ भी बह जाते हैं।