आज आएगी SIR की फाइनल लिस्ट:पहले ड्राफ्ट में 65 लाख लोगों के नाम कटे, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ

Sep 30, 2025 - 07:00
 0
आज आएगी SIR की फाइनल लिस्ट:पहले ड्राफ्ट में 65 लाख लोगों के नाम कटे, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ
चुनाव आयोग (EC), मंगलवार यानी आज स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल लिस्ट जारी करेगा। अनुमान है कि इस फाइनल लिस्ट में करीब 7.3 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। इनमें करीब 14 लाख नए वोटरों के नाम भी जुड़ सकते हैं। EC के अनुसार, SIR की प्रक्रिया जून 2025 से शुरू की गई थी। इसमें 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर्स से दोबारा फॉर्म भरवाए गए थे। इसके बाद 1 अगस्त को लिस्ट जारी की गई, जिसमें 65 लाख वोटर्स के नाम काट दिए गए थे। ये 65 लाख लोग ऐसे वोटर्स हैं, जो मर चुके हैं या स्थायी रूप से बाहर चले गए हैं। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे, जिनके पास 2 वोटर आईडी थे। फाइनल लिस्ट जारी होने के साथ ही चुनावी तैयारियां और तेज हो जाएंगी। 24 जून 2025 से शुरू हुई SIR प्रक्रिया बिहार में 2003 के बाद पहली बार SIR प्रक्रिया चली। इसे 24 जून 2025 को शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था, फर्जी जैसे विदेशी नागरिकों, दोहराए गए और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना। इसके तहत 7.24 करोड़ मतदाताओं से फॉर्म लिए गए। SIR का पहला फेज 25 जुलाई 2025 तक पूरा किया गया, जिसमें 99.8% कवरेज हासिल की गई। आंकड़ों के अनुसार, 22 लाख मतदाताओं की मौत हो चुकी है। 36 लाख मतदाता अपने घरों पर नहीं मिले। 7 लाख लोग किसी नई जगह स्थायी निवासी बन चुके हैं। SC ने आधार को 12वां दस्तावेज मानने के दिए आदेश बिहार के SIR में शुरुआत में 11 दस्तावेज मान्य किए गए थे, लेकिन 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार नंबर को 12वां दस्तावेज माना गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'आधार पहचान का प्रमाण पत्र है, नागरिकता का नहीं। कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वोटर की पहचान के लिए आधार को 12वें दस्तावेज के तौर पर माना जाए।' विपक्ष क्यों कर रहा विरोध विपक्षी का आरोप है कि इस प्रक्रिया से लोगों को वोटिंग के अधिकार से वंचित करने की साजिश हो रही है। ​​विपक्ष का कहना है कि 2003 से आज तक करीब 22 साल में बिहार में कम से कम 5 चुनाव हो चुके हैं, तो क्या वे सारे चुनाव गलत थे। अगर चुनाव आयोग को SIR करना था तो इसकी घोषणा जून के अंत में क्यों की गई। इसका निर्णय कैसे और क्यों लिया गया। अगर मान भी लिया जाए कि SIR की जरूरत है तो इसे बिहार चुनाव के बाद आराम से किया जा सकता था। इतनी हड़बड़ी में इसे करने का फैसला क्यों लिया गया। बिहार की तरह देशभर में SIR होगा EC ने 18 सितंबर को बताया कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) बिहार की तर्ज पर देशभर में होगा, लेकिन ज्यादातर राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को किसी प्रकार का दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके नाम पिछली SIR की वोटर लिस्ट में शामिल हैं। ज्यादातर जगह यह प्रक्रिया 2002 से 2004 के बीच हो गई थी। जिन लोगों के नाम उस समय की वोटर लिस्ट में थे, उन्हें अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान साबित करने के लिए कोई नया कागज नहीं देना होगा। जो नए वोटर बनना चाहते हैं, उन्हें डिक्लेरेशन फॉर्म भरना होगा। इसमें उन्हें यह बताना होगा कि वे भारत में कब जन्मे हैं। 1987 के बाद जन्मे लोगों को पेरेंट्स के दस्तावेज दिखाने होंगे। पूरी खबर पढ़ें...

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0