उन्नाव में आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन:लंबित मांगों पर नहीं हुआ अमल, आर्थिक संकट का आरोप

Dec 15, 2025 - 13:00
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उन्नाव में आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन:लंबित मांगों पर नहीं हुआ अमल, आर्थिक संकट का आरोप
उन्नाव में आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर विरोध प्रदर्शन किया है। उनका आरोप है कि मानदेय, प्रोत्साहन राशि और अन्य सुविधाओं के भुगतान में वर्षों से हो रही देरी के कारण उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं ने शासन और विभागीय अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि 6 अक्टूबर 2025 को दिए गए ज्ञापन में जिन बिंदुओं पर सहमति बनी थी, उन पर अब तक पूरी तरह अमल नहीं हुआ है। कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ के अनुसार, 6 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री स्तर से आश्वासन मिला था कि आशा कार्यकर्ताओं के लंबित भुगतान और अन्य मांगों का समाधान किया जाएगा। इसके बाद 13 अक्टूबर 2025 को स्वास्थ्य मंत्री स्तर पर भी एक बैठक हुई थी, जिसमें 1 नवंबर 2025 से मांगों के निस्तारण का भरोसा दिया गया था। हालांकि, इन आश्वासनों के बावजूद अब तक न तो बकाया भुगतान हुआ है और न ही अन्य मांगों पर कोई ठोस निर्णय लिया गया है, जिससे उनमें गहरा असंतोष है। सीएमओ कार्यालय में धरने के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने बताया कि वर्ष 2025 के कई महीनों का बकाया मानदेय, राज्य वित्त प्रतिपूर्ति राशि और विभिन्न अभियानों के भुगतान अभी भी लंबित हैं। इस वित्तीय देरी के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि आशा और आशा संगिनियों को 'मानद स्वयंसेवक' के बजाय सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। इसके अतिरिक्त, 45 वर्ष से अधिक आयु की आशा कार्यकर्ताओं के लिए सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक पेंशन की व्यवस्था की जाए। उनकी अन्य मांगों में आशा कार्यकर्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा और कार्य के दौरान दुर्घटना बीमा की सुविधा शामिल है। साथ ही, नियमित प्रशिक्षण और आवश्यक सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने की भी मांग की गई है। प्रमुख मांगों में न्यूनतम मानदेय में वृद्धि भी शामिल है, जिसके तहत आशा कार्यकर्ताओं को 21 हजार रुपये और आशा संगिनियों को 28 हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाने की मांग की गई है। दस्तावेज़ में यह भी बताया गया है कि चुनाव, सर्वेक्षण और अन्य सरकारी अभियानों में लगाए।

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