शहर के मशहूर सूरजकुंड पोखरे में छठ पूजा के दौरान लोगों ने जल में दीपक जलाकर प्रवाहित किए। इन दीपकों के तेल की वजह से पोखरे की सतह पर तेल की एक परत बन गई। इससे पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई और मछलियां सांस लेने के लिए परेशान होने लगीं। बृहस्पतिवार की सुबह जब लोग पोखरे की तरफ गए, तो उन्होंने देखा कि कई मछलियां मर चुकी हैं और बाकी मछलियां पानी की सतह पर आकर ऑक्सीजन लेने की कोशिश कर रही थीं। यह देखकर आसपास के लोगों ने नगर निगम को सूचना दी। नगर निगम के कर्मचारी मौके पर पहुंचे, वहीं स्थानीय लोगों ने भी मदद की। लोगों ने केले का तना काटकर पानी में डाला, ताकि उससे तेल की परत टूट जाए और पानी में फिर से हलचल हो सके। थोड़ी ही देर में बारिश भी शुरू हो गई, जिससे तेल की परत और जल्दी टूट गई। दोपहर तक पोखरे की स्थिति सामान्य हो गई और मछलियां फिर से पानी में तैरने लगीं। सूर्यकुंड धाम विकास समिति के कार्यक्रम संयोजक परमात्मा राम त्रिपाठी ने बताया कि मछलियों की मौत का कारण जल प्रदूषण है। छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं से बार-बार अपील की गई थी कि वे पोखरे में दीपक, तेल या पूजा की सामग्री न डालें, लेकिन कुछ लोगों ने ऐसा किया, जिससे यह स्थिति बनी।