सोनभद्र जिले के कठपुरवा गांव में शुक्रवार देर रात एक घर में घुसे हमलावरों को जिस तरह मां और उसकी नाबालिग बेटी ने रोक दिया, वह पूरे इलाके के लिए एक साहसी कथा बन गया है। रात की खामोशी को चीरती एक आहट ने जैसे ही खतरे का संकेत दिया, घर की 33 वर्षीय गीतांजलि अपने बच्चों की ढाल बनकर खड़ी हो गईं। चौकी हिंदुआरी क्षेत्र में रहने वाली गीतांजलि अपने दो बच्चों रश्मि (15) और आदर्श (7) के साथ थीं। उनके पति मुंबई में नौकरी करते हैं। घर के पीछे सोलर टावर का निर्माण चल रहा है, और वहीं काम करने वाला दिलबर हुसैन झारखंड के पाडुड का निवासी पहले मंजिल की चारदीवारी तोड़कर चोरी और दुष्कर्म की नीयत से अंदर घुस आया। कमरे से बाहर निकलते ही गीतांजलि पर पीछे से हमला हुआ—गला दबाने की कोशिश, चीख से भरी रात, और अचानक जागी बेटी रश्मि। पर हमलावरों ने यह नहीं सोचा था कि यह घर डर से नहीं, साहस से आबाद है। पीड़िता ने पुलिस से शिकायत की मां-बेटी ने हमलावरों को एक घंटे तक रोके रखा एक लंबा, थका देने वाला संघर्ष जिसे सुनकर पास के ग्रामीण दौड़े चले आए। 112 पुलिस और पीड़िता के भाई को भी सूचना दी गई। ग्रामीणों ने भीतर फंसे एक आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। चोटिल आरोपी को अस्पताल भेजा गया है। इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर दिया है और साथ ही गीतांजलि और रश्मि के साहस को हर आंगन में चर्चा बना दिया है। पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच तेज कर दी है, जबकि फरार आरोपी की तलाश में विशेष टीम लगा दी गई है। उनकी बहादुरी ने अँधेरे में घुसने आए खतरे को वहीं थाम लिया जैसे कोई घर अपने लोगों की हिम्मत से ही रोशन रहता है।