कानपुर देहात का अग्निशमन विभाग गंभीर स्टाफ और संसाधन संकट से जूझ रहा है। पिछले चार वर्षों में जिले में 3063 अग्निकांड दर्ज किए गए, जिनमें 19 लोगों की मौत हुई और 68 पशुओं की जान चली गई। विभाग में कुल 125 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 76 कर्मचारी ही तैनात हैं। इस प्रकार 49 पद रिक्त पड़े हैं। सबसे गंभीर स्थिति यह है कि सभी 5 अग्निशमन अधिकारी के पद खाली हैं, जिससे पूरा जनपद बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी के अग्नि सुरक्षा व्यवस्था संचालित कर रहा है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रतीक श्रीवास्तव के अनुसार, अग्निशमन अधिकारी के 5 स्वीकृत पदों में से एक भी पद भरा नहीं है। इसी तरह, अग्निशमन अधिकारी द्वितीय के 5 में से केवल 2, लीडिंग फायरमैन के 12 में से 5, चालक के 13 में से 8 और फायरमैन के 90 में से 61 पद ही भरे हुए हैं। आग लगने की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2022 में 677 घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें 1 व्यक्ति की मौत और 34 पशुओं की जान गई। वर्ष 2023 में 595 घटनाओं में 8 मौतें हुईं। वर्ष 2024 में 960 घटनाओं में 8 मौतें और 22 पशु मृत हुए, जबकि वर्ष 2025 में 870 घटनाओं में 2 मौतें और 4 पशुओं की जान गई। कानपुर देहात में कुल पांच फायर स्टेशन हैं। इनमें अकबरपुर, सिकंदरा, डेरापुर और रसूलाबाद में 2-2 यूनिट के फायर स्टेशन शामिल हैं। भोगनीपुर क्षेत्र में 4 यूनिट का फायर स्टेशन है, जबकि मैथा तहसील क्षेत्र में एक अस्थाई फायर स्टेशन स्थापित किया गया है। मौजूदा संसाधनों और स्टाफ की कमी को देखते हुए, एक साथ दो बड़ी आग की घटनाएं या औद्योगिक/भीड़भाड़ वाले इलाके में कोई बड़ा हादसा जनपद के लिए गंभीर त्रासदी का कारण बन सकता है।