कुशीनगर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर खड्डा क्षेत्र में नारायणी नदी के पास स्थित रेता क्षेत्र के निवासी शुद्ध पेयजल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जल जीवन मिशन के तहत 'हर घर जल नल योजना' का काम यहां धीमी गति से चल रहा है। दो साल पहले गांव में पाइपलाइन बिछाई गई थी, जो अब कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो चुकी है। वर्तमान में केवल एक पंप हाउस का निर्माण हुआ है। कार्यदायी संस्था ने वहां एक निजी चौकीदार तैनात किया है, जो जनरेटर और अन्य सामान की सुरक्षा करता है। टंकी निर्माण के लिए लगाई गई लोहे की छड़ें जंग खा रही हैं। कुछ वर्ष पूर्व इसी क्षेत्र में शुद्ध पानी के अभाव में दो व्यक्तियों की मृत्यु के बाद टंकी लगाने की घोषणा की गई थी। कभी-कभार जनरेटर से गांव में सीधी जलापूर्ति की जाती है, लेकिन पानी का दबाव आधे इलाके तक ही पहुंच पाता है। बाउंड्री न होने के कारण सोलर सिस्टम भी नहीं लगाया जा सका है। प्रोजेक्ट के सहायक अभियंता नीरज ने बताया कि उन्हें हाल ही में खड्डा ब्लॉक का कार्यभार मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रोजेक्ट में कम धन आवंटित किए जाने के कारण काम की प्रगति धीमी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नक्शों में यदि कोई त्रुटि है तो उसे सुधारा जाएगा और तब तक ग्रामीणों को डीजल जनरेटर से जलापूर्ति की जाएगी। जब इसपर हमने ग्रामीणों से बात की तो गांव के निजामुद्दीन बताते हैं- मरचहवा गांव में दो आदमी पानी के आभाव में मर गए थे। तब लखनऊ से टीम आई थी और टंकी के लिए जगह देखकर गई थी। लेकिन, अब तब नहीं बनी। फिर डबल इंजन की सरकार जो हर घर नल जल योजना लेकर आई है, उसके तहत यहां 4 ग्राम सभा के लिए टंकी बननी शुरू हुई। लेकिन, आज तक नहीं बन सकी। बहुत लापरवाही है। हर साल कहते है कि बरसात हो रही इसलिए काम रोका गया है। उसके बाद पुनः निर्माण होगा। यही आश्वासन हम सुनते चले आते बरसात में संक्रमित पानी पीना पड़ता