"जब से सुना है कि गीडा में हमें 10 एकड़ जमीन आबंटित की जाएगी, बहुत ही खुशी हो रही है। अब हम किताबों की आपूर्ति और भी बड़े स्तर पर कर पाएंगे। इससे पहले गीता प्रेस के पास जगह कम होने की वजह से हम संसाधन भी नहीं बढ़ा पा रहे थे। संसाधनों की कमी वजह से मांग के हिसाब से प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा था और आपूर्ति भी कम ही हो रही थी। जमीन आबंटन की सूचना से मन में एक उम्मीद जगी है कि हम और भी ज्यादा प्रोडक्शन कर सकेंगे। मांग के हिसाब से आपूर्ति होगी। कई वर्षों से इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया था। अब जाकर यह उम्मीद पूरी होती दिख रही है।" यह कहना है गोरखपुर गीता प्रेस के मैनेजर लाल मणि तिवारी का। दरअसल आज गीडा स्थापना दिवस के अवसर पर गीता प्रेस को गीडा के सेक्टर 27 में 10 एकड़ भूमि का महत्वपूर्ण आवंटन किया गया जाएगा। जिसकी तैयारी पहले से ही हो चुकी है। यह कदम धार्मिक साहित्य की बढ़ती मांग और परिवहन संबंधी मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए उठाया गया है। गीता प्रेस इस नई जगह पर 81 करोड़ रुपए का निवेश करेगा, जिससे क्षेत्र में लगभग 300 नए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। जगह की कमी से नहीं बढ़ रहे थे संसाधन इस अवसर पर दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए गीता प्रेस के मैनेजर डॉ. लाल मणि तिवारी ने खुशी व्यक्त की और कहा- पहले से हमारे पास प्रेस के लिए लगभग 1 लाख 45 हजार वर्ग फीट है। जिसका पूरा उपयोग हम लोग कर लिए। अब संसाधन बढ़ाने की कोई जगह नहीं है। इसलिए हमें और जगह की आवश्यकता थी। इतनी जगह में जितना काम होना चाहिए, उससे अधिक क्षमता से हम काम कर रहे हैं। फिर भी पुस्तकों के मांग की आपूर्ति नहीं कर पाते। यदि यह जमीन हमें मिल रही है तो मांग के अनुरूप आपूर्ति कर सकेंगे। पुस्तकों के आपूर्ति का दबाव होगा कम डॉ. लाल मणि तिवारी ने कहा- मांग अधिक होने की वजह से हम गीता और राम चरित मानस की भी आपूर्ति नहीं कर पा कर रहे हैं। हम अपने 20 ब्रांच की मांग की आपूर्ति नहीं कर पाते हैं। साल भर में लगभग 3 करोड़ पुस्तकें हम तैयार कर पा रहे हैं जबकि मांग उससे बहुत अधिक है। इस वजह से हम दबाव में काम करते हैं। जमीन मिलने से हमारा प्रोडक्शन बढ़ेगा और मांग के अनुरूप पुस्तकों का आबंटन होगा। जिससे दबाव कम होगा। जल्द ही शुरू करेंगे प्रोडक्शन
उन्होंने कहा- जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद सबसे पहले बाउंड्री वॉल तैयार करवाया जाएगा। उसके बाद कौन सी मशीन वहां इंस्टॉल होगी, मशीन कहां से आएगी और प्रोडक्शन कब से शुरू करना और अन्य चीजों पर मंथन कर आगे की प्लानिंग करेंगे। वैसे तो हमारे पास चार साल का समय है लेकिन इससे पहले ही हम वहां प्रोडक्शन शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं। अगले 100 वर्षों की तैयारी
मैनेजर तिवारी ने बताया- पुस्तकों के मांग के अनुरूप आपूर्ति न कर पाने का एक दबाव बना रहता है। नए जगह पर प्रोडक्शन के बाद यह समस्या भी दूर हो जाएगी। वर्तमान में जो मांगे हैं उन्हें तो पूरा करेंगे ही साथ ही जैसे जैसे मांग बढ़ेगी वैसे वैसे प्रोडक्शन को भी बढ़ाया जाएगा। अगले 100 वर्षों बढ़ते मांग की तैयारी को लेकर हम लोग यह काम शुरू करेंगे।