गोरखपुर से चलने और गुजरने वाली ट्रेनों की सुरक्षा- संचालन अब और बेहतर होने जा रहा है। रेलवे बोर्ड ने गोरखपुर होकर निकलने वाले प्रमुख रेल रूटों की तीसरी और प्रस्तावित चौथी लाइन पर ‘कवच’ और ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम लगाने का प्रस्ताव मांगा है। इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे ने डीपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ‘कवच’ सिस्टम से गोरखपुर कैंट होकर चलने वाली ट्रेनों में लोको पायलट को कोहरे या कम दृश्यता के दौरान सिग्नल देखने के लिए बाहर नहीं झांकना पड़ेगा। सभी जरूरी सूचनाएं उन्हें केबिन में लगे डिजिटल डैशबोर्ड पर मिलेंगी। यह सिस्टम ट्रेन के ब्रेक से जुड़ा होगा जिससे आपात स्थिति में ट्रेन स्वतः रुक जाएगी। गोरखपुर से जुड़े रेल रूटों पर 492 करोड़ की परियोजना रेल मंत्रालय ने 1441 रूट किलोमीटर क्षेत्र में कवच लगाने के लिए 492.21 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इसमें गोरखपुर-छपरा-लखनऊ रूट की तीसरी और चौथी लाइन शामिल है। इस मार्ग पर तेजी से ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जा रहा है और संचार टावर भी लगाए जा चुके हैं। गोरखपुर कैंट–गोल्डिंगंज रूट पहले चरण में शामिल पहले चरण में जिन रूटों पर कवच लगाया जाएगा, उनमें गोरखपुर कैंट–गोल्डिंगंज (बिहार) खंड प्रमुख है। इसके अलावा सीतापुर–बुढ़वल, बुढ़वल–गोरखपुर कैंट, लखनऊ–मल्हौर और बाराबंकी–बुढ़वल रूट भी शामिल हैं। गोरखपुर की ट्रेनें इन सभी सेक्शन से होकर गुजरती हैं। गोरखपुर–छपरा सेक्शन पर टावर निर्माण जारी पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि गोरखपुर कैंट–छपरा ग्रामीण सेक्शन पर कवच टावर लगाने के लिए टेंडर जारी किया गया है। वहीं छपरा–बाराबंकी सेक्शन पर टावर लगाने का कार्य चल रहा है। गोरखपुर कैंट–वाल्मीकिनगर रोड, भटनी–वाराणसी, वाराणसी–प्रयागराज और औंड़िहार–छपरा जैसे रूटों पर गोरखपुर से जुड़ी ट्रेनों की तीसरी लाइन का काम तेज गति से चल रहा है। इज्जतनगर मंडल में भी कई खंडों पर कार्य जारी है। ‘कवच’ से गोरखपुर की ट्रेनों को मिलेगी 24x7 सुरक्षा ‘कवच’ एक स्वदेशी ट्रेन सुरक्षा तकनीक है जो लोको और स्टेशन के बीच टावर व फाइबर नेटवर्क से जुड़ी रहती है। इससे गोरखपुर की ट्रेनों की सुरक्षा स्तर अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब पहुंच जाएगा।