गोरखपुर पुलिस के डॉग स्क्वॉयड में एक और डॉग की संख्या बढ़ गई है। टोनी, जीएस, जूली और उतलम को एक नया साथी मैक्स मिल गया है। जिसे जल्द ही इनकी टीम में शामिल किया गया। मैक्स 7 साल का है और इसे बस्ती से लाया गया है। वह VVIP सिक्योरिटी के लिए काम करेगा। डॉग स्क्वॉयड प्रभारी धनेश्वर चौहान ने बताया- मैक्स गोरखपुर के डॉग स्क्वॉयड में सबसे तेज है। यह बेल्जियम शेफर्ड नस्ल का है। इसके काम करने की क्षमता बाकी कुत्तों से ज्यादा है। इसे सिक्योरिटी के लिए ट्रेंड किया गया है। खोजी कुत्ता टोनी ने किया था कमाल
गोरखपुर पुलिस की डॉग स्क्वॉड टीम हमेशा से ही वेल ट्रेंड और तेज रही है। हाल ही में टोनी ने एक घटना का खुलासा किया था। जब चिलुआताल थाना क्षेत्र में कक्षा 4 में पढ़ने वाले 10 साल के लक्ष्य ने ट्यूशन का होमवर्क न पूरा होने की वजह से अपने ही घर में छुप गया था। घर वालों ने परेशान होकर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसके बाद पुलिस ने हर जगह उस बच्चे के की तस्वीर शेयर कर पता लगाने की कोशिश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल रहा था। फिर पुलिस ने डॉग स्क्वॉयड टीम की मदद ली। उसी समय खोजी कुत्ते टोनी ने महज चार घंटे के अंदर लक्ष्य का एकदम सही लोकेशन बता दिया। जो उसके ही घर के एक छज्जे का था। यह घटना गोरखपुर और आस पास के एरिया में काफी चर्चित रहा। मर्डर के गुत्थी को सुलझाया था टोनी
इसके अलावा टोनी ने एक और बड़ी घटना का खुलासा किया था। थाना प्रभारी धनेश्वर चौहान ने बताया- लगभग दो साल पहले चिलुआताल क्षेत्र में ही एक 6 साल के बच्चे की किडनैपिंग और मर्डर के मामले में टोनी ने कमाल किया। उस केस में अपराधी ने पुलिस को गुमराह करने के लिए बच्चे की डेड बॉडी को कही और छुपाया था और उसके खून से सने कपड़े किसी और एरिया में फेंक दिया था। इस मामले पता लगाने के लिए जब टोनी को बुलाया गया तो वो वहीं गया जहां डेड बॉडी छुपाया गया था। हालांकि उस समय पुलिस टीम ने उस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि सबूत किसी और तरफ मिले थे। लेकिन अगले दिन बच्चे की डेड बॉडी उसी जगह मिली जहां टोनी ने इशारा किया था। डॉग स्क्वॉयड में हैं 5 दमदार कुत्ते
गोरखपुर की डॉग स्क्वॉयड की टीम पहले से ही बहुत मजबूत है। इसमें नया मेंबर मैक्स को लेकर अभी 5 कुत्ते हैं। जो अलग-अलग कामों में लगे हुए हैं। जीएस- वेनमोर नस्ल का यह कुत्ता अभी 9 साल का है। इसे टेकनपुर से लाया गया था। यह स्नाइफर का काम करता है। जीएस को सीएम सिक्योरिटी के लिए ट्रेंड किया गया है। सुबह-शाम यह गोरखनाथ मंदिर में जाता है और अपनी ड्यूटी पूरी करता है।
कहीं भी अगर किसी तरह का बम का खतरा होगा तो यह कुत्ता तुरंत उस जगह पर पहुंच कर इशारा देगा। उसे बाद टीम उसे डिफ्यूज करेगी। टोनी- यह एक ट्रैकर कुत्ता है। इसकी उम्र सात साल की है। टोनी को पंचकुला से लाया गया था। यह किसी भी खोए हुए वस्तु या अपराधी का पता लगाता है। किसी भी छुपे संदिग्ध को ढूंढ कर निकाल सकता है। इसे इसी काम के लिए ट्रेनिंग दी गई है। जूली- यह एक फीमेल डॉग है जो नॉर्कोटिक्स डिपार्टमेंट में ड्यूटी करती है। खास कर एयरपोर्ट पर इसे तैनात किया जाता है। फ्लाइट लेने वाला कोई व्यक्ति नशा तो नहीं किया है? इसका पता लगाने के लिए ट्रेंड किया गया है। जूली अपना काम बखूबी करती है। यह डॉग स्क्वॉयड की सबसे चंचल और तेज मेंबर है। यह डॉबरमैन नस्ल की है। उतलम- डॉबरमैन नस्ल का ही उतलम भी स्नाइफर का काम करता है। कही भी अगर बम होने की सूचना मिलती है तो पता लगाने के लिए इसे उस जगह ले जाया जाता है। उतलम अभी 15 साल का है। इसे भी टेकनपुर से लाया गया था। मैक्स- सबसे नया मेंबर मैक्स है। यह सात साल का है और इसे बस्ती से लाया गया है। यह कुत्ता भी स्नाइफर का ही काम करेगा। मतलब यह भी बम वगैरह का पता लगाएगा। इसे VVIP सिक्योरिटी के लिए लाया गया है। सुबह-शाम होती है रिहल्सल
धनेश्वर चौहान ने बताया- डॉग स्क्वॉयड के सभी कुत्तों को सुबह शाम रिहल्सल कराया जाता है। जिससे उन्हें अपना दायित्व याद रहे। और जरूरत पड़ने पर तत्काल वो हमारे काम आए। एंटरटेनमेंट के लिए खेलते हैं फुटबॉल
इतना ही इन कुत्तों के एंटरटेनमेंट का भी खास ख्याल रखा जाता है। जब वे फ्री होते हैं। तो उनको फुटबॉल खिलाया जाता है। ताकि वे और फुर्तीले महसूस करें। सभी कुत्ते इसमें खूब आनंद लेते हैं और बाल देखते ही उछलने लगते हैं। खाने को दिया जाता अंडा और मीट
उन्होंने बताया- सभी कुत्तों को एक तरह का खाना दिया जाता है। सुबह दुध रोटी के साथ ब्वॉयल्ड अंडा दिया जाता है। इसके अलावा शाम कुछ ब्वॉयल्ड मीट और रोटी दी जाती है। इसके लिए एक स्पेशल केयर टेकर हैं। जो इनके खाने-पीने का खास ख्याल रखते हैं। एक कुत्ते के लिए आधा किलो बकरे का मीट दिया जाता है। बचपन में ही शुरू हो जाती ट्रेनिंग डॉग स्क्वॉयड प्रभारी धनेश्वर चौहान ने बताया- डॉग स्क्वायड में शामिल करने के लिए कुत्तों की ट्रेनिंग बचपन में शुरू कर दी जाती है। स्नाइफर और नार्को के लिए 3 महीने की उम्र से ही कुत्ते को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया जाता है। जबकि ट्रैकर को 9 महीने की उम्र से ट्रेनिंग दिया जाता है। यह सभी कुत्ते 6 महीने के बाद वेल ट्रेंड हो जाते हैं।