चंदौली जिले के नियामताबाद ब्लॉक स्थित महाबलपुर गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी से ग्रामीण परेशान हैं। वर्षों से सड़कें टूटी हुई हैं, नालियां बंद हैं और जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह से खस्ताहाल है। नाली का पानी सड़कों पर बह रहा है, जिससे ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को कीचड़ और बदबूदार पानी से होकर गुजरना पड़ता है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने में कोई रुचि नहीं लेते हैं। महाबलपुर गांव के निवासी शकील अहमद, रीना देवी, आकांक्षा और वाहिद अली ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से गांव में कोई ठोस विकास कार्य नहीं हुआ है। सड़कें जस की तस टूटी पड़ी हैं और जल निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के मौसम में पूरा गांव तालाब जैसा बन जाता है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। गांव में सीवर के लिए पाइप तो रखे गए हैं, लेकिन वर्षों से उन्हें बिछाया नहीं गया है। यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है। इस संबंध में ग्राम प्रधान अर्चना देवी ने बताया कि फंड की कमी के कारण विकास कार्य अधूरे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि जैसे ही फंड पास होगा, काम शुरू कर दिए जाएंगे। हालांकि, ग्रामीण प्रधान के इस दावे पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि क्या पिछले 15 साल से भी फंड नहीं मिला? यदि नहीं मिला, तो क्या कार्रवाई की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि लगातार शिकायतों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। महाबलपुर गांव की यह बदहाली अब चुनावी मुद्दा बनती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में विकास के वादे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं होता। यह स्थिति पिछले 5 से 15 वर्षों के विकास कार्यों की वास्तविक तस्वीर पेश करती है।