भास्कर न्यूज | बलरामपुर वाड्रफनगर स्थित फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में एक महत्वपूर्ण अंतरराज्यीय फॉरेस्ट समन्वय बैठक आयोजित की गई। इसमें छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और झारखंड के वन विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य सीमावर्ती जंगलों में वन्यजीव गतिविधियों, अवैध वन अपराधों और मानव-हाथी द्वंद्व जैसी समस्याओं के समाधान के लिए चारों राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना था। बैठक की अध्यक्षता बलरामपुर वनमंडल के डीएफओ आलोक बाजपेई ने की। इस दौरान झारखंड के गढ़वा से डीएफओ अंशुमन राजहंस और डीएफओ एविन अब्राहम, मध्यप्रदेश के सिंगरौली से आरएफओ हर्षिती मिश्रा, उत्तरप्रदेश के सोनभद्र से आरएफओ उषा देवी, उपवनमंडल अधिकारी अनिल सिंह पैकरा, संतोष पांडेय, निखिल सक्सेना सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और वनकर्मी उपस्थित रहे। बैठक में हाथियों के बढ़ते विचरण, ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही क्षति और मानव-हाथी संघर्ष के दुष्परिणामों पर गहन चर्चा हुई। अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में वन्यजीवों की गतिविधियां और अवैध तस्करी जैसी समस्याएं राज्यीय सीमाओं के पार जाकर चुनौती उत्पन्न करती हैं। इसके समाधान के लिए एक मजबूत और समन्वित कार्ययोजना की आवश्यकता महसूस की गई। बैठक में साझा रणनीति और सूचना आदान-प्रदान प्रणाली पर विशेष जोर दिया गया। यह सहमति बनी कि चारों राज्यों के वन विभागों के बीच सूचनाओं का त्वरित और प्रभावी आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए एक एकीकृत सूचना नेटवर्क की स्थापना की जाएगी। साथ ही सीमावर्ती इलाकों में संयुक्त गश्त की जाएगी और रैपिड रिस्पॉन्स टीमों की तैनाती की जाएगी ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जा सके। बैठक में शामिल वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और अन्य। जागरूकता, तकनीक और मुआवजा से मिलेगा समाधान मानव-हाथी द्वंद्व को कम करने के लिए स्थानीय समुदायों को जागरूक करने, तकनीकी सहयोग देने और मुआवजा प्रक्रिया को सरल बनाने के निर्णय लिए गए। अधिकारियों ने माना कि जब तक ग्रामीणों को इस कार्य में सहभागी नहीं बनाया जाएगा, तब तक संघर्ष की स्थितियों पर पूर्ण नियंत्रण पाना मुश्किल होगा। इसलिए संवाद, सहभागिता और सहयोग को प्राथमिकता दी जाएगी। बैठक के अंत में सभी अधिकारियों ने आयोजन को उपयोगी और सफल बताया। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि इस प्रकार की समन्वय बैठकें समय-समय पर होती रहनी चाहिए ताकि राज्यों के बीच सहयोग मजबूत हो और वन प्रबंधन अधिक प्रभावी बनाया जा सके। साथ ही वन्यजीवों और मानव बस्तियों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए साझा प्रयासों को आगे बढ़ाया जाए।