झांसी में शुक्रवार को इमाम हुसैन की शहादत के चालीसवें दिन चेहल्लुम पर ताजिया और मातमी जुलूस निकला। वहीं, शिया मुसलमानों ने खूनी मातम कर माहौल को गमगीन बना दिया। या हुसैन, ज़िंदाबाद हुसैन की सदाओं के साथ ताजियों की मिसिल पुराने शहर में निकाली गईं। सुबह जिला ताजिया कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट याकूब अहमद मंसूरी ने कोतवाली थाना क्षेत्र के गन्दीगर के टपरा पर ताजिया और बुर्राक को मिसिलबद्ध कराते हुए जुलूस आगे बढ़ाया। जहां से ताजिया की मिसिल गन्दीगर का टपरा से शुरू होकर सर्राफा बाजार, मानिकचौक, रानी महल होते हुए लक्ष्मीताल स्थित कर्बला पहुंची। यहां ताजिया को पानी में ठंडा किया गया। वहीं, बुर्राक व अन्य इमारतें अपने इमामबाड़ों को लौट गईं। वहीं, देररात फिर से ताजिया और बुर्राक की मिसिलबन्दी कराई गई, जो सर्राफा बाजार, मालिनों का तिराहा होते हुए बड़ा बाजार पहुंची। यहां देर रात तक ताजिया की ज़ियारत करने के लिए अकीदतमंद आते रहे। वहीं, डीजे और बैंड पर इमाम हुसैन की याद में कव्वाली और मातमी धुन बजती रहीं। वहीं, बड़ा बाजार से वापस सभी बुर्राक इमामबाड़ों को लौट गईं। वहीं, ताजिया कर्बला ले जाए गए। कड़ी सुरक्षा में निकले ये बुर्राक देर रात कड़ी सुरक्षा के बीच बुर्राक बैंड और डीजे के साथ मिसिल में शामिल हुए। इनमें गुदरी मोहल्ले के कासिम उस्ताद की बुर्राक, अब्दुल हमीद, जुम्मन उस्ताद, मोहम्मद हुसैन और हबीब खां की बुर्राक शामिल रहे। वहीं, कुरैश नगर और मल्लू उस्ताद के ताजिया में शानदार तरीके से सजाए गए थे। इस आयोजन में मुकेश अग्रवाल और अतुल किल्पन का सहयोग ताजिया को मिसिलबद्ध कराने में अहम रहा, जिसके लिए ताजिया कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नूर अहमद मंसूरी एडवोकेट के आभार जताया।