मुरादाबाद में सोमवार को कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि पर छठ महापर्व का मुख्य अनुष्ठान 'संध्या अर्घ्य' श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान शहर के घाटों और तालाबों पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए, जिससे पूरा वातावरण छठ मइया के गीतों और जयकारों से गूंज उठा। व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर घाटों की ओर निकलीं। उनके सूप में ठेकुआ, गन्ना, केला, नारियल, नींबू, शकरकंद, सिंगाड़ा, अदरक और विभिन्न मौसमी फल शामिल थे, जिनसे अर्घ्य की थाली सजाई गई थी। परिवार के सदस्य, विशेषकर बच्चे, दीप और टोकरी लेकर उनके साथ चल रहे थे।डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देते समय घाटों पर भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। महिलाओं ने भगवान सूर्य और छठ मइया से परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और संतान की दीर्घायु की कामना की। इस दौरान "उठहें सूरज देव" और "कांच ही बांस के बहंगिया" जैसे पारंपरिक भजन गूंजते रहे।व्रती महिलाओं ने बताया कि छठ व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि परिवार के लिए की जाने वाली गहन तपस्या है। यह पर्व आत्मशुद्धि, संयम और समर्पण का प्रतीक है। उनका मानना है कि संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से फलदायी होता है।पूजा की तैयारियों के संबंध में महिलाओं ने बताया कि प्रसाद देसी घी में पूरी शुद्धता के साथ तैयार किया गया था और सभी मौसमी फलों का भोग लगाया गया। कई व्रतियों ने यह भी कहा कि यह पर्व प्रकृति, सूर्य और जल के प्रति आभार व्यक्त करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।शहर के प्रमुख छठ घाटों पर स्थानीय प्रशासन की ओर से साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।